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July 7, 2025
हिमाचल: बाढ़ में बही ट्रांसपोर्टर की गाड़ियां, मंजर देख खूब रोया बुधराम; फिर सदा के लिए हो गया खामोश
बुधराम की थुनाग में घर के बाहर खड़ी थी पांच गाड़ियां मलबे में बह गई
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में मंडी जिला में 30 जून की रात को भारी बारिश ने जमकर कहर बरपाया। मंडी जिला के सराज थुनाग और करसोग घाटी में भयंकर तबाही हुई। यह तबाही सिर्फ मलबे, टूटी दुकानों या बहती सड़कों की कहानी नहीं है। यह उन जिंदगियों की करुण पुकार है, जिनका सब कुछ एक झटके में लुट गया। ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली घटना थुनाग बाजार से सामने आई है। जहां भीषण बाढ़ ने एक ट्रांसपोर्ट कारोबारी बुधराम की जिंदगी ही निगल ली।
30 जून की रात आई मूसलाधार बारिश ने थुनाग बाजार और उसके आसपास के इलाकों में कहर मचा दिया। बाजार के बीच से गुजरने वाले चार नाले राक्षसी रूप लेकर उफान पर आ गए। कुछ ही मिनटों में पूरा बाजार मलबे से पट गया, घर ढह गए, दुकानों का नामोनिशान मिट गया, और गाड़ियां खड्डों में समा गईं। इस त्रासदी ने करीब 50 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचाया और 200 से अधिक दुकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया।
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इसी तबाही का सबसे दर्दनाक पहलू था बुधराम की मौत। पेशे से ट्रांसपोर्टर रहे बुधराम ने अपने खून.पसीने की कमाई से पांच गाड़ियां जुटाई थीं। तीन टैक्सियां और दो पिकअप गाड़ियां। ये न सिर्फ उनकी आजीविका का जरिया थीं, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य की उम्मीद भी थीं। लेकिन जब रात के अंधेरे में पानी और मलबा उनकी गाड़ियों को बहाकर ले गया, तब उनके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी उनके सामने उजड़ गई।
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प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बुधराम ने जब अपने घर के बाहर का मंजर देखा, तो मानो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। वे बदहवास होकर मलबे के पास भागे, आवाज़ें लगाईं, लेकिन न कुछ बचा था और न कोई जवाब मिला। वे घंटों तक वहीं बैठे रहे। काफी देर तक रोते रहे और मलबे में कुछ ढूंढते रहे। कुछ ही देर बाद उन्होंने अचानक अपने सीने पर हाथ रखा और लड़खड़ाते हुए जमीन पर गिर पड़े। ग्रामीणों ने तुरंत उन्हें उठाया, लेकिन तब तक उनका शरीर साथ छोड़ चुका था। हृदयाघात ने एक परिवार का सहारा छीन लिया।
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बुधराम अपने पीछे पत्नी, एक बेटा और एक बेटी को छोड़ गए हैं। तीनों बेसुध हैं, आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। गांव में हर चेहरा गमगीन है। लोग उन्हें एक नेकदिल, मेहनती और दूसरों की मदद को हमेशा तैयार रहने वाला इंसान बताते हैं। बुधराम ने जिंदगी भर मेहनत कर पांच गाड़ियां बनाई थीं। यही उनकी रोजी रोटी का सहारा था। थुनाग की आपदा सिर्फ एक भौतिक नुकसान नहीं है। यह उन सपनों का चूर.चूर होना है जो बरसों की मेहनत से खड़े किए गए थे। सैंकड़ों परिवार सड़क पर आ गए हैं, और इस त्रासदी में बुधराम जैसे कितने ही नाम अब सिर्फ यादों में रह गए हैं।