#विविध

December 19, 2025

हिमाचल का बकरा- 95 हजार में बिका : नस्ल देख दंग रहे सभी, खाता है सिर्फ खास चीजें

युवक ने करीब दस महीने पहले बकरी पालन का काम शुरू किया था।

शेयर करें:

130kg beetal breed goat bilaspur himachal

बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है- जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है। उपतहसील भराड़ी की लढ़याणी पंचायत के एक युवा किसान ने बकरी पालन के क्षेत्र में ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसने न केवल उसकी मेहनत को पहचान दिलाई- बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी एक नई राह खोल दी है।

95 हजार में बिका बकरा

ललवाण गांव निवासी युवक अश्विनी द्वारा पाला गया बीटल नस्ल का 15 महीने का बकरा हाल ही में 95 हजार रुपये में बिक गया। खास बात यह रही कि इस बकरे को खरीदने वाले व्यापारी पंजाब के रहने वाले हैं, जिन्होंने इसे केरल भेज दिया है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : अपने घर में 6 महीने तक रखी मासूम, किया प्रेग्नेंट- फिर बस स्टैंड पर छोड़कर भागा

केरल पहुंचा हिमाचल का बकरा

वहां इस बकरे को एक ब्रीडिंग फार्म में रखा जाएगा, ताकि इसकी नस्ल से आगे उच्च गुणवत्ता के बकरे तैयार किए जा सकें। यह जिला स्तर पर पहला मौका है, जब किसी बकरे को इतनी ऊंची कीमत मिली हो।

10 महीने पहले शुरू किया काम

अश्विनी ने बताया कि करीब दस माह पहले उन्होंने बकरी पालन का काम शुरू किया था। उस समय उन्होंने पटियाला के नजदीक कराला कस्बे से बीटल नस्ल का एक बकरे का बच्चा 25 हजार रुपये में खरीदा था। उस वक्त बकरे की उम्र लगभग पांच माह थी। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने पूरी लगन और नियमित देखभाल के साथ इसका पालन-पोषण किया।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में बदला मौसम का मिजाज- अलगे 2 दिन बर्फबारी का अलर्ट जारी, मैदानों में होगी बारिश

बकरे को नहीं दिया महंगा-बाजारी आहार

सबसे अहम बात यह रही कि बकरे को किसी तरह का महंगा या बाजार से खरीदा गया विशेष आहार नहीं दिया गया। अश्विनी के अनुसार, घर में उगने वाला गेहूं, बाजरा, जौ और आसपास की हरी घास ही इसके भोजन का मुख्य आधार रहा। नियमित सफाई, खुले वातावरण में घूमने की सुविधा और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच ने बकरे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

Goat

शानदार कद-काठी का बकरा

दस माह की मेहनत के बाद बकरे ने शानदार कद-काठी हासिल कर ली। वर्तमान में इसकी ऊंचाई चार फीट से अधिक है और वजन लगभग 130 किलोग्राम बताया जा रहा है, जो बीटल नस्ल के लिए काफी प्रभावशाली माना जाता है। यही कारण रहा कि इसकी मांग लगातार बढ़ती गई। बकरे ने जिला स्तर की एक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान भी हासिल किया, जिससे इसकी पहचान और बाजार मूल्य दोनों में इजाफा हुआ।

यह भी पढ़ें : हिमाचल कांग्रेस MLA को HC से झटका, नहीं रद्द होगा भ्रष्टाचार का केस- सरकार ने भी पीछे खींचे हाथ

अश्विनी ने बताया कि उन्होंने बकरे की कीमत शुरुआत में एक लाख 20 हजार रुपये तय की थी। हालांकि, पंजाब से आए व्यापारियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने भविष्य में बेहतर व्यापारिक संबंध और भरोसा बनाए रखने के उद्देश्य से इसे 95 हजार रुपये में बेचने का फैसला किया। उनका मानना है कि लंबे समय में विश्वास और संबंध अधिक मायने रखते हैं।

युवाओं के लिए बेहतरीन रोजगार

अश्विनी ने कहा कि बकरी पालन आज के समय में युवाओं के लिए एक बेहतरीन स्वरोजगार का साधन बन सकता है। यह ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम पूंजी में शुरू किया जा सकता है और यदि सही तरीके से देखभाल की जाए तो अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने चिंता जताई कि वर्तमान समय में कई युवा नशे की चपेट में फंसते जा रहे हैं और आसान पैसे के लालच में गलत रास्तों पर चले जाते हैं।

यह भी पढ़ें : केंद्र की सख्ती पर CM सुक्खू ने बुलाई कैबिनेट, नए साल से पहले होंगे कड़े फैसले

नशे से दूर रहें युवा

अश्विनी का मानना है कि यदि युवा नशे और अवैध गतिविधियों से दूर रहकर बकरी पालन, कृषि या पशुपालन जैसे कार्यों को अपनाएं, तो न केवल वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा। ललवाण गांव का यह उदाहरण साबित करता है कि मेहनत, धैर्य और सही दिशा में किया गया प्रयास गांव से निकलकर भी बड़ी पहचान दिला सकता है।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख