#विविध

October 4, 2025

अस्पताल में भर्ती 9 बच्चों की सिरप पीने से थम गई सांसें, हिमाचल के दवा उद्योग में मचा हड़कंप

हिमाचल सरकार कर रही दवाओं की जांच, सिरप प्रोडक्शन पर लगाई रोक

शेयर करें:

Himachal medicine companies

नालागढ़ा (सोलन)। मध्य प्रदेश में जान बचाने के लिए पिलाई गई दवा ने 9 बच्चों को मौत की नींद सुला दिया है। इन बच्चांे को सर्दी जुकाम की बीमारी थी, लेकिन जब इन्हें सिरप पिलाया गया, तो उनकी तबीयत सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ने लगी और एक के बाद एक कर 9 बच्चों की मौत हो गई। इस घटना के बाद हिमाचल के फार्मा उद्योग में हड़कंप मच गया है। 

हिमाचल के दवा उद्योग पर उठे सवाल

देश दुनिया को दवाओं की सबसे बड़ी सप्लाई करने वाले हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योग पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बीते दिनों 9 बच्चों की संदिग्ध दवा सेवन के बाद किडनी फेल होने से मौत हो गई है। इस मामले के सामने आने के बाद हिमाचल के फार्मा उद्योग में हड़कंप मच गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने हिमाचल सरकार को पत्र लिख कर दवाओं की जांच के साथ साथ सिरप के निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। जिसके बाद हिमाचल के ड्रग डिपार्टमेंट को अलर्ट कर दिया है। प्रदेश सरकार ने एहतियातन नेक्सा डीएस समेत कुछ कफ सिरप की प्रोडक्शन पर भी फिलहाल रोक दी है।

 

यह भी पढ़ें : हिमाचल : गहरी खाई में समाई कार, पिता के सामने बड़े बेटे की थमी सांसें- छोटे की हालत नाजुक

हिमाचल बनाता है देश की 70 फीसदी दवाएं

हिमाचल प्रदेश देश का सबसे बड़ा फार्मा हब है। यहां बने औषधियों की सप्लाई भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में होती है। आंकड़ों के अनुसार देश की करीब 70 प्रतिशत दवाइयां हिमाचल के उद्योगों में ही तैयार होती हैं। इस वजह से प्रदेश का औषधि उद्योग लगातार सुर्खियों में रहता है।

मध्य प्रदेश में 9 बच्चों की मौत

छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में पिछले महीने से अब तक 9 बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य महकमे को हिला दिया है। बच्चों को शुरू में बुखार और जुकाम की शिकायत हुई। इलाज के दौरान उन्हें खांसी की दवा दी गई। इसके बाद उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया और हालत बिगड़ती चली गई। नागपुर समेत कई बड़े अस्पतालों में ले जाने के बावजूद बच्चों की जान नहीं बच सकी।

यह भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव : देवालुओं ने तहसीलदार को घसीटा, फाड़े कपड़े- 6 पर FIR

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बच्चों को जिस सिरप का सेवन कराया गया, उसमें एथिलीन ग्लाइकॉल और डाइएथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले केमिकल मिले थे। यही केमिकल गाड़ियों के कूलेंट और एंटीफ्रीज लिक्विड में इस्तेमाल होता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी मामूली मात्रा भी गुर्दों और मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

हिमाचल सरकार और ड्रग डिपार्टमेंट अलर्ट

मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में हिमाचल और तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर कफ सिरप की जांच करवाने और प्रोडक्शन पर रोक लगाने की सिफारिश की। हिमाचल के ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि एहतियातन नेक्सा डीएस कफ सिरप की प्रोडक्शन रोक दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश से मध्य प्रदेश को सप्लाई हुई दवाइयों की पहचान कर ली गई है और CDSCO (सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के साथ मिलकर जांच शुरू हो गई है।

 

यह भी पढ़ें : हिमाचल में भारी बारिश-तूफान का ऑरेंज अलर्ट जारी, 5 जिलों पर फिर मंडराया खतरा

बार.बार फेल हो रहे दवाओं के सैंपल

यह पहला मौका नहीं है जब हिमाचल में बनी दवाओं पर सवाल उठे हों। बीते वर्षों में यहां की कई नामी कंपनियों के दवा सैंपल बार-बार फेल होते रहे हैं। इससे न केवल हिमाचल की छवि को धक्का लगा है, बल्कि देश-विदेश में निर्यात होने वाली दवाओं की विश्वसनीयता भी प्रभावित हुई है। फिलहाल जांच रिपोर्ट का इंतजार हैए लेकिन बच्चों की मौत से उठे सवाल हिमाचल की औषधि उद्योग की साख पर गहरा दाग छोड़ गए हैं।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख