#हिमाचल
July 28, 2025
हिमाचल में सेब बागानों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज : फैसले पर टिकी बागवान भाइयों की निगाहें
हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाओ आदेश को दी गई चुनौती, बागानों को बताया हिमाचल की रीढ़
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। यह आदेश शिमला के पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र सिंह पंवार और अधिवक्ता कार्यकर्ता राजीव राय द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है।
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 2 जुलाई को राज्य के वन विभाग को अतिक्रमित वन भूमि से सेब के बागों को हटाने और वहां वन प्रजातियों को पुनर्स्थापित करने का निर्देश दिया था। साथ ही, अतिक्रमणकारियों से इसकी लागत भू-राजस्व के रूप में वसूलने का भी आदेश दिया गया। बता दें कि प्रदेश में कई बागवानों के सेब के बागीचे कटने के बाद से ही प्रदेश की जनता में रोष था। ऐसे में सुक्खू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख करने का फैसला किया था।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह आदेश मनमाना, असंगत और संवैधानिक व पर्यावरणीय सिद्धांतों के विरुद्ध है। उनका कहना है कि मानसून के दौरान बड़े पैमाने पर सेब के पेड़ों को हटाना न केवल हिमाचल की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि भूस्खलन और मृदा कटाव जैसी आपदाओं को भी न्योता देगा। याचिका में कहा गया है कि हिमाचल पहले ही एक भूकंपीय और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, ऐसे में यह फैसला भारी सामाजिक-आर्थिक नुकसान ला सकता है।
याचिका में सेब के बागानों को सिर्फ अतिक्रमण नहीं बल्कि पारिस्थितिकी के हिस्से के रूप में देखा गया है। याचिकाकर्ता कहते हैं कि ये बाग न केवल मृदा को स्थिर रखने में सहायक हैं, बल्कि स्थानीय वन्यजीवों को आवास और राज्य की अर्थव्यवस्था को सहारा भी देते हैं। हिमाचल में हजारों किसानों की आजीविका इन्हीं बागानों से जुड़ी है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है। क्या अतिक्रमण के नाम पर सेब बागानों पर चला सरकारी डंडा थमेगा? या फिर पारिस्थितिक संतुलन के नाम पर सरकार की मुहिम को न्यायिक समर्थन मिलेगा?