#अपराध
May 28, 2025
हिमाचल : सरकारी कॉलेज का प्रिंसिपल सस्पेंड, छात्रा के कंबल में हाथ डालता वीडियो हुआ था वायरल
छात्राओं को गलत संदेश भेजने, कॉल करने और धमकाने के आरोप
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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित हाईड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल हिमांशु मोंगा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। प्रिंसिपल पर ये सख्त एक्शन उसकी वीडियो वायरल होने के बाद लिया गया है।
यही नहीं, पहले सुंदनगर इंजीनियरिंग कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने भी प्रिंसिपल के खिलाफ ऐसे ही आरोप लगाए थे। ताजा घटनाक्रम में एक वीडियो सामने आने के बाद मामला और गंभीर हो गया है, जिसमें आरोपी प्रिंसिपल एक छात्रा के साथ अस्पताल के बेड पर आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई दे रहा है।
यह वीडियो मार्च 2023 का बताया जा रहा है, जो हाल ही में सार्वजनिक हुआ है। वीडियो के सामने आने के बाद छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश फैल गया और कॉलेज परिसर में करीब चार घंटे तक जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। गुस्साए छात्रों ने प्रिंसिपल का पुतला फूंककर प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पीड़िता की शिकायत के आधार पर IPC की धारा 354A के तहत मामला दर्ज किया है। चूंकि यह मामला बीते वर्ष का है, इसलिए इसमें भारतीय दंड संहिता (BNS) की जगह पुरानी दंड प्रणाली के तहत कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक संदीप धंवल ने जानकारी दी कि आरोपी को गिरफ्तार कर थाने लाया गया था, जहां से उसे नोटिस देकर जमानत पर छोड़ दिया गया, लेकिन उसे रोजाना थाने में बुलाकर पूछताछ की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने भी विभागीय रिपोर्ट तलब की थी। इसी के बाद तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव कदम संदीप वसंत ने आदेश जारी करते हुए हिमांशु मोंगा को निलंबित कर दिया है।
आदेश में उल्लेख किया गया है कि चूंकि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित है, इसलिए उन्हें केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1965 के नियम 10 (1) के तहत निलंबित किया जाता है। निलंबन के दौरान प्रिंसिपल का मुख्यालय तकनीकी शिक्षा निदेशक कार्यालय, सुंदरनगर, मंडी निर्धारित किया गया है।
मामले में फिलहाल पुलिस जांच जारी है और विभागीय स्तर पर भी अनुशासनात्मक प्रक्रिया अपनाई जा रही है। छात्र समुदाय इस कार्रवाई को अपनी आवाज की जीत मान रहा है और मांग कर रहा है कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द कड़ी कानूनी सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी शैक्षणिक संस्थान का अधिकारी अपनी सीमाएं न लांघे।