#अपराध
March 20, 2025
विमल नेगी केस में डायरेक्टर, MD सस्पेंड, सात घंटे तक प्रदर्शन- शिमला में FIR
बिजली विभाग के MD हरिकेष मीणा को भी हटा दिया है
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शिमला। हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत ने प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। 10 मार्च से लापता नेगी का शव 18 मार्च को गोविंद सागर झील में मिला, जिसके बाद परिजनों ने शिमला में शव के साथ सात घंटे तक प्रदर्शन किया। परिजनों ने उच्च अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। सरकार ने निदेशक (इलेक्ट्रिकल) देशराज को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं, वहीं विपक्ष ने सीबीआई जांच की मांग की है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
इसके अलावा सुक्खू सरकार ने बिजली विभाग के MD हरिकेष मीणा को भी हटा दिया है। हालांकि, मीणा का अभी ट्रांसफर नहीं किया गया है। उनकी जगह पर IAS अफसर राकेश प्रजापति को अब बिजली विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। जबकि, मामले की विभागीय जांच IAS अफसर ओंकार शर्मा को सौंपी है- जो कि 15 दिन में इस मामले में रिपोर्ट सौपेंगे।
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परिजनों का आरोप है कि प्रबंधन उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था। देर रात तक काम करने का दबाव और लगातार तनाव की स्थिति के कारण वे कई दिनों से परेशान थे। परिजनों ने मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री और पुलिस प्रशासन से कई बार विमल नेगी को जल्द ढूंढने की अपील की थी।
विमल नेगी 10 मार्च को रोजाना की तरह अपने घर से ऑफिस के लिए निकले, लेकिन उसके बाद से वे लापता हो गए। जब वे घर नहीं लौटे तो परिजनों ने शिमला के सदर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। इसके बाद पुलिस ने शिमला से विशेष टीमें गठित कर उनकी तलाश शुरू की।
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आखिरी बार वे बिलासपुर जिले में सीसीटीवी कैमरे में नजर आए थे, जिसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिला। विमल नेगी अपने पीछे पत्नी, कॉलेज में पढ़ने वाली बेटी और छठी कक्षा में पढ़ने वाले बेटे को छोड़ गए हैं। परिवार पूरी तरह सदमे में है और न्याय की गुहार लगा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया और सरकार से जवाब मांगा। राजस्व मंत्री जगत नेगी से मुलाकात के दौरान परिजनों ने आशंका जताई कि किसी काम के दबाव के कारण वे तनाव में थे।
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हालांकि, फिलहाल इसे आत्महत्या माना जा रहा है, लेकिन असली सच्चाई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद ही सामने आएगी। परिजनों और कर्मचारियों का कहना है कि अगर प्रबंधन की प्रताड़ना का मामला साबित होता है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।