#अपराध
May 24, 2025
विमल नेगी पर दबाव बनाने और षड्यंत्र रचने की बात आई सामने- रिपोर्ट में हुए और भी कई खुलासे
कंपनी को अनुचित लाभ देने के लिए बनाया गया षड्यंत्र
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजना के नाम पर एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। हाईकोर्ट में सौंपी गई अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा और डीजीपी अतुल वर्मा की रिपोर्ट ने पेखुबेला प्रोजेक्ट में सुनियोजित साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। जिसके बाद विमल नेगी केस में नया मोड आया है।
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि परियोजना में गहरे स्तर पर कंपनी को अनुचित लाभ देने के लिए षड्यंत्र रचा गया और इसमें अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका जताई गई है। जिसके बाद कोर्ट ने विमल नेगी मौत मामले को अब सीबीआई को सौंप दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, चीफ इंजीनियर विमल नेगी को प्रोजेक्ट से संबंधित निर्णयों में मनमर्जी से बदलाव करने के लिए न केवल दबाव में डाला गया, बल्कि उन्हें "आप प्रॉब्लम में आ जाओगे..." जैसी धमकियां तक दी गईं।
ईओटी कमेटी से जुड़े तथ्यों में सामने आया कि विमल नेगी को देरी के दिनों को 45 से घटाकर 23 करने के लिए मजबूर किया गया। यह सीधा-सीधा कंपनी को नुकसान से बचाने की कोशिश थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारी देसराज ने प्रोजेक्ट में दखलअंदाज़ी की। इसके अलावा, नेगी पर यह दबाव डाला गया कि वे परियोजना का राजस्व अनुमान 19 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ कर दें।
रिपोर्ट के सबसे चौंकाने वाले हिस्से में कहा गया है कि दो अधिकारियों ने कंपनी को 10% अग्रिम भुगतान दिलवाने के लिए आपस में साजिश रची, जबकि इस भुगतान को लेकर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की कोई मंजूरी नहीं थी।
रिपोर्ट में इस मामले की किसी स्वतंत्र एजेंसी या विशेषज्ञ के माध्यम से जांच करवाने की सिफारिश की गई है। साथ ही यह भी संकेत मिले हैं कि यह महज कुछ अफसरों तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि पावर कॉरपोरेशन में गहरे स्तर पर फैले कुप्रबंधन और वित्तीय गड़बड़ी का हिस्सा हो सकता