#अपराध
March 22, 2025
हिमाचल में SDM ने की धोखाधड़ी! करोड़ों के खेल में 6 लोगों पर दर्ज हुआ केस
जमीन खरीद-फरोख्त में मामले में बरती थी अनियमितताएं
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चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में विजिलेंस ने जमीन की खरीद-फरोख्त में अनियमितताओं के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। विजिलेंस ब्यूरो ने तत्कालीन तहसीलदार और वर्तमान एसडीएम डलहौजी अनिल कुमार सहित छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और षड्यंत्र के आरोप में केस दर्ज किया है। मामला सरकारी राजस्व के साथ छेड़छाड़ कर स्टांप ड्यूटी में हेरफेर करने से जुड़ा है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है।
डलहौजी के राजमहल रोड निवासी हेमलता नाम की महिला ने राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो में शिकायत दर्ज करवाई थी।
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शिकायत में आरोप लगाया गया कि 19 अक्टूबर 2010 को हंसराज नाम के व्यक्ति ने राजमहल रोड पर स्थित एक खसरा नंबर पर 2.24 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। लेकिन जब 11 नवंबर 2014 को इस भूमि का इंतकाल (स्वामित्व हस्तांतरण) किया गया, तो इसे बढ़ाकर 6.20 हेक्टेयर कर दिया गया।
राजस्व रिकॉर्ड में कथित हेरफेर के कारण जमीन का क्षेत्रफल 6.20 हेक्टेयर दर्ज कर दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को स्टांप ड्यूटी में करीब 1.56 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
इसके बाद 25 जुलाई 2023 को हंसराज ने यह पूरी जमीन अपने बेटे आयुष ठाकुर और बेटी अनामिका ठाकुर के नाम पर ट्रांसफर कर दी।
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इसके कुछ महीनों बाद 7 मई 2024 को आयुष ठाकुर ने इस जमीन को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सोहाना (पंजाब) में गिरवी रखकर 4.15 करोड़ रुपये का लोन लिया।
विजिलेंस द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि जमीन की रजिस्ट्री और इंतकाल प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां की गई थीं। इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार (वर्तमान में एसडीएम डलहौजी) अनिल कुमार, तत्कालीन पटवारी राजेश कुमार, तत्कालीन कानूनगो कैलाश चंद (अब सेवानिवृत्त), विक्रेता पक्ष के अजय कुमार महाजन, अवतार सिंह और हंसराज की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
जांच में अनियमितताओं की पुष्टि होने के बाद विजिलेंस ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से कूटरचना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) और 120B (षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
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विजिलेंस अधिकारियों ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और जल्द ही दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। इस मामले से यह साफ हो गया है कि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से राजस्व विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की जा रही थीं। अब इस घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका भी खंगाली जा रही है।