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September 27, 2025

बैंक लोन फ्रॉड में आगे बढ़ी बात: ED के हाथ लगा है सबूतों का जखीरा, जानें डिटेल

अधिकारियों ने ED के सामने रखा अपना पक्ष

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Himachal News

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के ऋण माफी मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की जांच जारी है। मामले में ED ने दो अधिकारियों से पूछताछ की है। बता दें कि ये पूछताछ कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (KCC) बैंक लिमिटेड में वन टाइम सेटलमेंट योजना में ऋण माफी मामले में की गई।

दो अधिकारियों से पूछताछ

ED ने दोनों अधिकारियों से प्रवर्तन निदेशालय शिमला में पूछताछ की। ये पूछताछ करीब 1 घंटे चली जिसमें अधिकारियों ने ED का सामने अपना पक्ष रखा। ईडी ने दोनों बैंक अधिकारियों को 26 सितंबर तक रिकॉर्ड जमा करने को कहा है।

 

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रिकॉर्ड ED ऑफिस में जमा 

बता दें कि शुक्रवार को ये रिकॉर्ड ED ऑफिस में जमा करवा दिया गया है। होटेल के करोड़ रूपये के कुल ऋण में से करीब 24 करोड़ माफ करने का ये मामला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में भी गया था।

मेंबर्स से हो सकती पूछताछ 

ED उस समय के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के मेंबर्स से भी पूछताछ कर सकती है। इससे पहले नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों का उल्लंघन करने के चलते बैंक ऑफ डायरेक्टर्स को निलंबित कर दिया था।

 

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कई लोगों के लिए मुश्किल

अब जब मामले में और परतें खुलनी शुरू हुईं तो पिछले कई सालों के कई खुलासे हो सकते हैं। बैंक अधिकारियों ने जो रिकॉर्ड जमा करवाया है, ईडी उसका अध्ययन करने के बाग एक्शन लेगा। इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच की कई लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।

क्या है मामला ?

सरकारी बैंक ने आरएस बेल्वेडरे होटल को 45 करोड़ रुपए का लोन दिया था। बाद में होटल ने समय पर भुगतान नहीं किया, जिसके चलते बैंक ने वन टाइम सेटलमेंट (OTS) के तहत मात्र 21 करोड़ रुपए ही वसूले और शेष 24 करोड़ रुपए की राशि माफ कर दी।

संपत्ति पर कब्जे की कार्रवाई 

होटल का यह लोन साल 2016 में NPA घोषित हो गया था। इसके बाद बैंक ने नोटिस जारी कर संपत्ति पर कब्जा करने की कार्रवाई शुरू की थी। बैंकिंग विशेषज्ञों के अनुसार, बैंक को होटल की संपत्ति की नीलामी कर उचित मूल्य वसूलना चाहिए था, लेकिन बैंक प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया।

 

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24 करोड़ रुपए का नुकसान

सूत्रों के अनुसार, यह होटल अब कांगड़ा के एक प्रभावशाली नेता से जुड़े लोगों के पास है। आरोप है कि सेटलमेंट राजनीतिक दबाव में किया गया और इससे बैंक को 24 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

बैंक की साख पर भी सवाल 

इस मामले ने बैंक की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता के लिए बैंक अकसर सख्ती दिखाता है, लेकिन बड़े और प्रभावशाली मामलों में यह ढील दिखाई देने से विवाद पैदा हो रहा है।

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