#अपराध
July 19, 2025
हिमाचल में भ्रष्टाचार की नई मिसाल: JCB की जगह स्कूटी से बना दी सड़कें; पंचायत प्रधान निलंबित
पहले से बनी सड़कों शौचालयों के नए बिल बनाकर किया बड़ा घोटाला
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। प्रदेश में आए दिन इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन प्रदेश के मंडी जिला की एक पंचायत में हुए भ्रष्टाचार के खुलासे ने सभी को चौंका दिया है। यहां जेसीबी की जगह स्कूटी के नंबर को सड़क निर्माण में दिखाया गया। इतना ही नहीं पहले से बनी सड़कों, शौचालयों और अन्य भवनों के लिए भी पैसा मंजूर कर बड़ा घोटाला किया गया। मामले में अब पंचायत प्रधान पर निलंबन की गाज गिरी है।
यह मामला करसोग विकासखंड की ठाकुरठाणा पंचायत से सामने आया है। यहां की पंचायत प्रधान माला मेहता को सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय प्रारंभिक जांच के बाद जिला पंचायत अधिकारी अंचित डोगरा द्वारा पंचायती राज अधिनियम के तहत लिया गया।
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पंचायत प्रधान पर आरोप है कि उन्होंने कागजों में विकास के कार्य दर्शाकर लाखों रुपए की राशि खर्च कर दी, जबकि ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। सरकारी दस्तावेजों में सड़कों, शौचालयों, सामुदायिक भवनों और शमशान घाटों का निर्माण दिखाया गया, लेकिन जमीन पर इस तरह का कोई भी निर्माण नहीं हुआ।
जांच के दौरान सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब सड़क निर्माण के लिए स्कूटी के नंबर (HP31C 6806) को जेसीबी मशीन के तौर पर दिखाया गया। स्कूटी के नाम पर 700 से अधिक घंटे काम का बिल बनाकर भुगतान कर दिया गया। इतना ही नहीं, सुमाकोठी स्कूल के खेल मैदान में भी फर्जीवाड़ा हुआ जहां 1,000 घंटे जेसीबी से कार्य दर्शाया गया, जबकि वास्तव में वहां कोई भी काम नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि इस मैदान की जमीन स्कूल के नाम पर भी दर्ज नहीं है और किसी प्रकार की अधिकृत अनुमति भी नहीं ली गई थी।
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पंचायत के भ्रष्टाचार की परतें तब खुलनी शुरू हुईं जब ठाकुरठाणा निवासी पन्ना लाल ठाकुर ने आरटीआई के माध्यम से सूचना निकाली। इसमें सामने आया कि कई सड़कें जो 10 से 15 साल पहले बन चुकी थीं, उन्हें कागजों में नए सिरे से निर्मित दिखाकर उनके लिए भी भारी-भरकम बिल बना दिए गए।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायत में 10 सार्वजनिक शौचालयों को मंजूरी दी गई थी, जिनके लिए प्रति शौचालय 3 लाख रुपए की राशि जारी की गई। लेकिन इन शौचालयों का निर्माण कभी हुआ ही नहीं। पुराने ढांचों की फोटो दिखाकर नया निर्माण दर्शाया गया और भुगतान निकाल लिया गया। इसी तरह दो शमशान घाटों के लिए स्वीकृत राशि 5.5 लाख रुपए भी कथित रूप से हड़प ली गई।
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माला मेहता के पति पूर्व में इसी पंचायत के प्रधान, उपप्रधान और बीडीसी सदस्य रह चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्षों से पंचायत की सत्ता एक ही परिवार के इर्द.गिर्द घूमती रही है और योजनाओं का लाभ केवल कागजों में ही सीमित रहा है।
करसोग खंड विकास अधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि ग्रामवासियों की शिकायत और दस्तावेजी जांच के आधार पर ही कार्रवाई की गई है। स्कूटी को जेसीबी दिखाने बिना निर्माण कार्य के फर्जी बिल बनाने और वर्षों पुराने प्रोजेक्ट्स को दोबारा दिखाने के आरोप प्रमाणित पाए गए हैं।
पन्ना लाल ठाकुर ने कहा कि वे इस घोटाले को लेकर अब हाईकोर्ट का रुख करेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ ठाकुरठाणा पंचायत की बात नहीं, बल्कि प्रदेश भर में फैले पंचायत स्तरीय भ्रष्टाचार का एक उदाहरण मात्र है।
इससे पहले शिमला के ठियोग में स्कूटी और बाइक से पानी ढोने के नाम पर लाखों रुपये के बिल बनने का मामला सामने आया था, जबकि चंबा जिले में एक खच्चर के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये के सामान की ढुलाई दिखाई गई थी। ये घटनाएं राज्य में पंचायतों की कार्यप्रणाली और निगरानी प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करती हैं।