#अपराध
October 30, 2025
हिमाचल : मोबाइल चलाने पर डांटा तो घर से भागी 15 साल की लड़की, पंजाब से पकड़ लाई पुलिस
मां की डांट से नाराज हुई लड़की- घर से भाग गई
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण घर-घर में बढ़ रहा तनाव अब गंभीर सामाजिक समस्या बनता जा रहा है। इसी कड़ी में शिमला जिला के थाना सदर क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया।
जहां 15 वर्षीय नाबालिग लड़की मोबाइल फोन चलाने से रोके जाने पर गुस्से में घर छोड़कर चली गई। गनीमत यह रही कि पुलिस की त्वरित कार्रवाई से किशोरी को पंजाब के नवांशहर से सकुशल बरामद कर लिया गया।
जानकारी के अनुसार, 27 अक्टूबर की शाम नाबालिग की मां ने उसे मोबाइल फोन चलाने से मना किया और इस पर डांटा भी। इससे नाराज होकर लड़की बिना किसी को कुछ बताए घर से निकल गई।
शुरुआत में परिजनों को लगा कि बेटी कुछ समय बाद लौट आएगी, लेकिन जब रात हो गई और वह वापस नहीं आई, तो चिंता बढ़ गई। अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को परिवार ने आसपास के रिश्तेदारों और परिचितों के यहां तलाश शुरू की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। आखिरकार, परिवार ने मामला गंभीर होता देख थाना सदर में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
थाना सदर पुलिस ने शिकायत मिलते ही जांच शुरू की। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग की मदद से लड़की के ठिकाने का पता लगाने की कोशिश की। जांच के दौरान यह पता चला कि नाबालिग की लोकेशन पंजाब के नवांशहर क्षेत्र में आ रही है। इसके बाद थाना सदर से एक विशेष पुलिस टीम को तत्काल नवांशहर रवाना किया गया। स्थानीय पुलिस की मदद से लड़की को सुरक्षित बरामद कर लिया गया।
29 अक्टूबर की शाम, पुलिस टीम नाबालिग को लेकर शिमला वापस पहुंची। आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद किशोरी को परिजनों के हवाले कर दिया गया। परिवार ने पुलिस टीम और अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि त्वरित कार्रवाई के कारण उनकी बेटी सुरक्षित वापस लौट सकी।
थाना सदर पुलिस ने इस घटना को समाज के लिए चेतावनी बताते हुए कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों के साथ संवाद बनाए रखना चाहिए। मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों को समझाना और उन पर भरोसा बनाए रखना बेहद जरूरी है।
पुलिस ने यह भी कहा कि किशोरावस्था में बच्चे भावनात्मक रूप से संवेदनशील होते हैं और छोटे-छोटे मुद्दों पर भी बड़ा कदम उठा सकते हैं। इसलिए संवेदनशील बातचीत और समय पर मार्गदर्शन ही ऐसी घटनाओं को रोकने का सबसे बेहतर तरीका है।