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August 31, 2025

हिमाचल की विश्व प्रसिद्ध 'अटल टनल' में होने लगा पानी का रिसाव, निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल

दो जिलों को जोड़ती है टनल, सामरिक और पर्यटक दृष्टि से है काफी अहम

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Atal tunnel

कुल्लू। देश की सबसे लंबी और समुद्र तल से सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़क सुरंग अटल टनल में हाल ही में हुए पानी के रिसाव ने इसकी निर्माण गुणवत्ता और दीर्घकालिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुल्लू जिले में रोहतांग दर्रे के नीचे बनी यह सुरंग न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन अब इसके अंदर से आ रही रिसाव की खबरों ने विशेषज्ञों और आम यात्रियों दोनों को चिंतित कर दिया है।

अटल टनल पर्यटकों की पहली पसंद

मनाली को लाहौल-स्पीति और आगे लेह-लद्दाख से जोड़ने वाली 9.02 किलोमीटर लंबी अटल टनल दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़क सुरंग है। समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह टनल अपने घोड़े की नाल जैसे आकर और उच्च तकनीकी निर्माण के लिए जानी जाती है। 

 

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3,200 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस सुरंग के निर्माण से पहले, सर्दियों में रोहतांग दर्रा पूरी तरह से बंद हो जाता था और लाहौल घाटी का देश से संपर्क कट जाता था। अब इस टनल के माध्यम से साल भर यातायात संभव हो सका है। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित अटल टनल अब देश-विदेश से आने वाले लाखों पर्यटकों की पहली पसंद बन चुकी है। गर्मियों में बर्फ से ढके पहाड़ों और सुरंग के अंदर से गुजरने का रोमांच पर्यटकों को यहां खींच लाता है।

 

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रिसाव से पैदा हुए खतरे

हाल ही में सामने आए रिसाव की खबरों के बाद, सुरंग की संरचनात्मक मजबूती पर सवाल उठना लाजमी हो गया है। इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की लीकेज सामान्य नहीं होती और यह कहीं न कहीं निर्माण के दौरान की गई लापरवाही या घटिया सामग्री के उपयोग की ओर इशारा कर सकती है।

 

आईआईटी से जुड़े एक भू-तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा कि टनल में पानी का रिसाव दीर्घकाल में इसकी संरचनात्मक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। यह केवल मरम्मत का मामला नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा का प्रश्न है। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण के बाद नियमित निरीक्षण और उचित जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक होती है।

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जन सुरक्षा पर चिंता, जांच की मांग

सुरंग से रोजाना हज़ारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं, जिनमें पर्यटक, स्थानीय लोग और सेना के वाहन शामिल होते हैं। ऐसे में रिसाव जैसी समस्या न केवल यात्रा में असुविधा पैदा करती है बल्कि संभावित दुर्घटनाओं का कारण भी बन सकती है। स्थानीय प्रशासन और संबंधित एजेंसियों से इस मामले की तत्काल और निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह केवल तकनीकी खामी नहीं बल्कि एक सार्वजनिक सुरक्षा संकट बन सकता है यदि इसे समय रहते ठीक नहीं किया गया।

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