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December 10, 2025

HRTC ने टेके घुटने- 422 घाटे के रूट होंगे सरेंडर, निजी ऑपरेटरों को सौंपने की तैयारी

कैबिनेट की मंजूरी के बाद शुरू होगी प्रक्रिया

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Himachal Transport News

शिमला। घाटे की गहरी खाई में फंसे हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम यानी HRTC के बड़े बदलाव के संकेत साफ दिखाई देने लगे हैं। निगम 422 रूटों को सरेंडर करने की तैयारी कर चुका है और इस संबंध में प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। खास बात यह है कि इन रूटों को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि निजी ऑपरेटरों को सौंपा जाएगा। जहाँ बड़े वाहनों की जगह टेंपो ट्रैवलर चलेंगे।

कैबिनेट की मंजूरी के बाद शुरू होगी प्रक्रिया

सरकार का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कमी की समस्या लगातार बनी रहती है, लेकिन घाटे वाले रूट लेने से निजी ऑपरेटर बचते हैं। ऐसे में टेंपो ट्रैवलर जैसे छोटे वाहन उनके लिए भी लाभदायक होंगे और यात्रियों को भी बेहतर सुविधा मिलेगी। अब पूरा मामला कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। 

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कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही परिवहन विभाग इन रूटों का विज्ञापन जारी करेगा। इस बार सरकार एक अहम बदलाव कर रही है। स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने का प्रावधान जोड़ा जा रहा है, ताकि रोजगार को भी बढ़ावा मिल सके। मुख्यमंत्री पहले ही विधानसभा में इसका ऐलान कर चुके हैं।

HRTC को भारी घाटा, युक्तीकरण की शुरुआत

HRTC का कुल घाटा 2200 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। हर महीने निगम को 70 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। सरकार सालाना 780 करोड़ रुपये सहायता के रूप में देती है, लेकिन इसके बावजूद हालात जस के तस हैं। आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार ‘युक्तीकरण’ की प्रक्रिया लागू कर रही है। 

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जिसके तहत कर्मचारियों का पुनर्संयोजन किया जाएगा। यह प्रक्रिया मार्च से शुरू होगी। मुख्यमंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वेतन और पेंशन समय पर देने के लिए कड़े कदम उठाने जरूरी हैं।

सरकार का तर्क- कम सवारी, बड़ा घाटा

ग्रामीण और दुर्गम रूटों पर सवारियां बहुत कम होती हैं। बड़े वाहनों को चलाना घाटे का सौदा साबित होता है। वहीं टेंपो ट्रैवलर में कम सीटें होती हैं, इसलिए कम यात्री भी रूट को व्यवहारिक बना देते हैं। इससे निजी ऑपरेटरों को भी नुकसान नहीं होगा और यात्रियों को नियमित सेवा मिलने लगेगी।

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वाहनों की वर्तमान स्थिति

HRTC के पास फिलहाल 3180 बसें हैं, जबकि निजी कंपनियां लगभग 3300 बसें चला रही हैं। सरकार का मानना है कि टेंपो ट्रैवलर जुड़ने से परिवहन व्यवस्था और मजबूत होगी, खासकर उन गांवों और दूरदराज क्षेत्रों में जहां बड़ी बसें नहीं चल पातीं। HRTC खुद भी 100 टेंपो ट्रैवलर खरीदने की प्रक्रिया में है, जो लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।

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