#अव्यवस्था
April 16, 2025
दो साल में क्रिप्टो घोटाले के किंगपिन सुभाष को पकड़ नहीं पाई हिमाचल पुलिस, अब दिया अल्टीमेटम
2000 करोड़ लूटकर दुबई में छिपा है सरगना
शेयर करें:
मंडी। हिमाचल प्रदेश में 20 अरब रुपए के क्रिप्टोकरेंसी घोटाले के सरगना सुभाष शर्मा को हिमाचल पुलिस बीते 2 साल में छू तक नहीं पाई है। दो बार गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद सुभाष अभी तक कानून के शिकंजे से दूर दुबई में छिपकर बैठा है। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी हो चुका है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय से लुकआउट नोटिस पर अमल करने के लिए पुलिस केवल पत्र लिखकर खामोश है।
सुभाष शर्मा ने हिमाचल प्रदेश के 80 हजार निवेशकों को लूटा है। लेकिन हिमाचल पुलिस ने इस मामले में शामिल आरोपियों के पंजाब के जीरकपुर में खरीदी गई करोड़ों की संपत्तियों का अभी तक केवल मूल्यांकन ही किया है।
यह भी पढ़ें: HRTC बना कमाऊ पूत- पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़े, राजस्व विभाग में 131 करोड़ का इजाफा
अगर संपत्तियों की नीलामी हो जाती तो निवेशकों को उनके निवेश के कुछ पैसे मिल भी जाते। अब इस मामले की सुनवाई कर रही शिमला की ट्रायल कोर्ट ने सुभाष शर्मा को 28 अप्रैल तक सरेंडर करने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर उसे भगौड़ा घोषित कर दिया जाएगा। कोर्ट ने यह विज्ञापन दूसरे अरेस्ट वारंट को जंप करने को देखते हुए दिया है। वारंट को लेकर पुलिस पिछले माह मंडी में सुभाष शर्मा के घर गई थी, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। सुभाष शर्मा अपनी पत्नी और बेटे के साथ इस समय दुबई में छिपा बैठा है।
इधर, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट इस बड़ी धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी मिलन गर्ग और ऊना में सुभाष शर्मा के मुख्य एजेंट अभिषेक शर्मा की जमानत याचिका पर 25 अप्रैल को सुनवाई करेगी। मिलन गर्ग इस समय मध्यप्रदेश पुलिस की कस्टडी में है।
यह भी पढ़ें: होटल के कमरा नंबर 210 में चल रही थी डील, पुलिस ने मारी रेड- महिलाएं भी धरी
सुभाष शर्मा ने मंडी में हेमराज और सुखदेव को भी एजेंसी बना रखा था। दोनों ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने में मुख्य आरोपित सुभाष शर्मा, मिलन गर्ग, मुख्य एजेंट सुखदेव, हेमराज, अभिषेक शर्मा व प्रापर्टी डीलर विजय कुमार जुनेजा की बराबर भूमिका रही है।
यह घोटाला फर्जी वेबसाइट्स और मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कीम्स के जरिए संचालित हुआ, जिसमें लोगों को उच्च रिटर्न का लालच देकर निवेश कराया गया। ठगों ने फर्जी वेबसाइट्स (जैसे कोरव्यू, डीजीटी, बीटपैड) बनाकर निवेशकों को आकर्षित किया, जिसमें कॉइन और डॉलर में हाई रिटर्न दिखाए गए।
यह भी पढ़ें: हिमाचल के बजरंगी भाईजान उर्फ संजय कंवर: एक और बिछड़े को परिवार से मिलवाया
एजेंटों को विदेश यात्राएं और महंगी कारें दिखाकर प्रलोभन दिया गया। निवेशकों को शुरू में कुछ रिटर्न देकर भरोसा जीता गया, लेकिन बाद में वेबसाइट्स बंद कर दी गईं। 2024 तक 89 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 74 हिमाचली और 4 गैर-हिमाचली शामिल हैं। पुलिस ने आरोपियों की अब तक 37 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, वहीं 73 आरोपियों के खिलाफ चालान न्यायालय में पेश किया गया है।