#अव्यवस्था
May 27, 2025
हिमाचल में आज से एंबुलेंस सेवा बंद! मरीजों को झेलनी पड़ेगी परेशानी- जानिए क्या है पूरा मामला
मानदेय, बहाली और ट्रांसफर को लेकर एंबुलेंस कर्मियों की आर-पार की चेतावनी
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में आज रात 8 बजे से 108 एंबुलेंस सेवाएं ठप पड़ सकती हैं। एंबुलेंस कर्मियों ने 24 घंटे की हड़ताल का ऐलान करते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनकी तीन प्रमुख मांगें नहीं मानी गईं, तो आपात सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। इससे प्रदेशभर में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, खासकर दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सरकारी अस्पतालों तक पहुंचने का एकमात्र जरिया ये एंबुलेंस सेवाएं ही हैं।
नौकरी से निकाले गए 14 कर्मचारियों की बहाली
ट्रांसफर किए गए कर्मियों को उनके पहले के कार्यस्थल पर वापस तैनात करना
जनवरी 2020 के हाईकोर्ट आदेश के मुताबिक न्यूनतम मानदेय देना
प्रदेश में फिलहाल 1400 से अधिक एंबुलेंस कर्मी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें कई कर्मी ऐसे हैं जो 10 से 15 साल से इस सेवा से जुड़े हैं। मगर इसके बावजूद उन्हें महज 11,300 रुपये मासिक मानदेय ही दिया जा रहा है। जबकि हाईकोर्ट के 2020 के आदेश के अनुसार उन्हें कम से कम वैधानिक न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए था।
सीटू के बैनर तले गठित यूनियन ने बताया कि एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी यूनियन गठन के बाद प्रतिशोध में 14 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुकी है और कुछ को दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है।
एंबुलेंस यूनियन ने ऐलान किया है कि कल यानी 28 मई को सभी जिला मुख्यालयों पर और शिमला के NHM (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा। यूनियन के महासचिव बालकराम ने कहा - अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आज रात 8 बजे से एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी जाएंगी।
सीटू नेता विजेंद्र मेहरा ने कहा कि यह शर्मनाक है कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा। उल्टा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। हम यह मनमानी नहीं चलने देंगे। यदि सरकार और कंपनी ने अब भी सुध नहीं ली तो यह आंदोलन लंबा चलेगा।
प्रदेशभर में मरीजों और उनके परिजनों की चिंता बढ़ गई है। अगर एंबुलेंस सेवा आज रात से ठप हुई तो गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, सड़क हादसे के शिकार लोग और इमरजेंसी केस सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। आम लोगों को मजबूरी में निजी वाहन या टैक्सी से अस्पताल पहुंचना पड़ सकता है।