#अव्यवस्था
June 12, 2025
हिमाचल में ठेकेदारों का फूटा गुस्सा, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, आत्म*दाह की चेतावनी
ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री सुक्खू और विक्रमादित्य को ठहराया जिम्मेदार
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के ठेकेदारों का सरकार के प्रति आक्रोश अब उबाल पर है। लंबे समय से बकाया भुगतानों को लेकर हो रही अनदेखी के विरोध में मंडी.कुल्लू कांट्रेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन ने सुंदरनगर में जोरदार प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ही उनकी बकाया राशि का निपटारा नहीं किया गया, तो वे आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। ठेकेदारों ने इसके लिए सीधा तौर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह को जिम्मेदार ठहराया है।
संघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला तो आत्मदाह का रास्ता चुनने को मजबूर होंगे। हम चाहते हैं कि सरकार इस गंभीर स्थिति को संवेदनशीलता से ले। अगर कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी पूरी ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
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एसोसिएशन के अध्यक्ष केशव नायक ने कहा कि प्रदेश के ठेकेदारों की हालत बद से बदतर हो गई है। बकाया भुगतानों की राशि 900 करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है, और इस आंकड़े में लगातार इज़ाफा हो रहा है। हालत यह है कि ठेकेदारों को जीएसटी भुगतान के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है।
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केशव नायक ने आरोप लगाया कि अकसर सरकार मीडिया में कहती है कि ठेकेदारों के लिए इतने करोड़ जारी कर दिए, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने मांग की कि यदि सरकार के पास भुगतान करने के लिए संसाधन नहीं हैं, तो मुख्यमंत्री और लोक निर्माण मंत्री को एक श्वेत पत्र जारी कर जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहिए।
केशव नायक ने बताया कि केवल सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विंग्स से जुड़े कार्यों में ही लोक निर्माण विभाग का ठेकेदारों पर लगभग 1500 करोड़ रुपए का बकाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीडब्ल्यूडीके अधिकारियों को कई बार लिखित अनुरोध, ईमेल और नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
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संघ ने सरकार से तत्काल वार्ता की मांग की है। नायक ने कहा कि अगर सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है तो वह ठेकेदारों को बुलाकर स्पष्ट रूप से बताए कि भुगतान कब और कैसे होगा। लगातार अनदेखी से हम न केवल मानसिक रूप से परेशान हैं, बल्कि हमारे व्यापारिक हित भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कांट्रेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से अभी तक न कोई वार्ता का प्रस्ताव आया है और न ही कोई औपचारिक आश्वासन। इससे ठेकेदारों में असंतोष और अनिश्चितता की भावना गहराती जा रही है।