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June 12, 2025
दिल्ली-लेह के रोमांचक सफर पर निकली HRTC बस, बर्फ से लदे पहाड़ों की करवाएगी सैर
9 माह बाद आज से देश के सबसे ऊंचे दिल्ली लेह रूट पर शुरू हुई बस सेवा
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केलांग। हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों और दुर्गम दर्रों को चीरती हुई देश की सबसे रोमांचक और ऊंचाई पर चलने वाली दिल्ली.मनाली.लेह बस सेवा आज गुरुवार से एक बार फिर शुरू हो गई है। यह रूट देश के सबसे लंबे बस रूटों में शामिल है। हिमाचल पथ परिवहन निगम की यह बस सेवा करीब 9 महीने के बाद आज 12 जून की सुबह फिर से शुरू हुई। यह बस सेवा सिर्फ एक परिवहन का साधन नहीं, बल्कि रोमांच, प्रकृति और संस्कृति की जीवंत झलक है। जो यात्रियों को हिमालय की गोद में ले जाती है।
केलांग से रवाना हुई इस बस में पहले दिन 15 रोमांचप्रेमी सवार हुए, जो सफेद बर्फ से लिपटे दर्रों, हरे.भरे घास के मैदानों और गगनचुंबी पहाड़ों के बीच से होकर लेह पहुंचेंगे। यह बस केलांग बस स्टैंड से सुबह 5:30 बजे रवाना हुई। इस बस को रवाना करते हुए रीजनल मैनेजर ने यात्रियों और स्टाफ का पारंपरिक खतक पटका पहनाकर स्वागत किया।
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इस सफर में कई रोमांचक पड़ाव हैं। यह बस जहां बर्फ की ऊंची ऊंची दीवारों के बीच से गुजरती है। वहीं 16,500 फीट ऊंचा बारालाचा दर्रा, 15,547 फीट ऊंचा नाकुला, 13,480 फीट का तंगलंग लाए और 16,616 फीट की ऊंचाई पर स्थित लाचुंगला दर्रा को भी यह बस पार करती है। इन दर्रों से गुजरते वक्त नज़ारे जैसे किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं होते। बस थोड़ी देर के लिए यहां रुकती है, ताकि यात्री फोटोग्राफी कर इस अनुभव को हमेशा के लिए संजो सकें।
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अब यह शानदार बस सेवा 990 किलोमीटर की दूरी केवल 1827 रुपए में तय करवाएगी। दिल्ली से चलकर यह बस चंडीगढ़, मंडी, कुल्लू, मनाली और केलांग होते हुए लेह तक जाती है। खास बात यह है कि यह बस सेवा पर्यटन सीजन में कुछ महीनों के लिए ही उपलब्ध रहती है, जिससे इसकी मांग और रोमांच दोनों बढ़ जाते हैं।
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जो पर्यटक लद्दाख की यात्रा का सपना संजोए बैठे थे, उनके लिए यह खबर किसी तोहफे से कम नहीं। पहली बार यात्रा कर रहे एक युवक ने कहा कि यह सफर ज़िंदगी का सबसे सुंदर अनुभव है। इतनी कम कीमत में इतने खूबसूरत नज़ारे देखना सपना जैसा है। वहीं एक महिला यात्री ने कहा यह सेवा हमारे लिए सुरक्षित, किफायती और भरोसेमंद विकल्प है। हर साल इसका इंतजार रहता है।
इस रोमांचकारी रूट की शुरुआत साल 2008 में हुई थी। तब से लेकर अब तक यह बस हजारों यात्रियों को बर्फीले रास्तों, वीरान पठारों और ऊंचे पहाड़ों के बीच से एक यादगार यात्रा का अनुभव दे चुकी है। इस साल सीमा सड़क संगठन ने समय पर रास्ते से बर्फ हटाकर मार्ग को 12 मई तक खोल दिया था, लेकिन प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी होने में समय लगने से सेवा जून में शुरू हो पाई।
यह सेवा केवल हिमाचल और लद्दाख को जोड़ने का माध्यम नहीं, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने वाला एक सशक्त जरिया भी है। बीते साल इस रूट ने 95 दिनों में 1:25 करोड़ रुपए की कमाई की थी। इस बार पर्यटकों की संख्या और रोमांच को देखते हुए और भी बेहतर आंकड़े की उम्मीद की जा रही है।