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February 13, 2025

हिमाचल: सब तहसील या मजाक, स्टॉफ-भवन देना भूली सरकारें; 12 में 11 पद खाली

जयराम सरकार के बाद सुक्खू सरकार भी पूरी नहीं कर पाई मूलभुत सुविधाएं

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Kangra Nurpur News

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में सरकारें वोट लेने के लिए किस तरह से जनता के साथ भद्दा मजाक करती हैं, इसका जीता जागता उदाहरण कांगड़ा जिला के पुलिस जिला नूरपुर में देखने को मिल रहा है। पूर्व की जयराम सरकार ने नूरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आते सदवां को उपतहसील की सौगात तो दी, लेकिन सुविधाएं और स्टॉफ देना भूल गई। उसके बाद सत्ता में आई सुक्खू सरकार भी इस ओर कोई काम नहीं कर पाई।

जयराम ने दी थी सब तहसील की सौगात

दरअसल पूर्व की जयराम सरकार ने सिर्फ कागजों में ही सदवां को उपतहसील की सौगात दी। जयराम सरकार ने एक साधारण पटवार घर में उपतहसील को खोल दिया। लेकिन यहां पर बुनियादी सुविधाएं ना तो जयराम सरकार ने पूरी की और ना ही सुक्खू सरकार ने। हालात यह हैं कि साधारण पटवार घर में चल रहे इस उपतहसील कार्यालय में ना तो आवश्यक पदों को भरा गया है और ना ही न ही स्टैंप वेंडर, डॉक्यूमेंट प्रोवाइडर या टाइपिस्ट की व्यवस्था की गई।

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12 में से 11 पद चल रहे खाली

वर्तमान में इस उपतहसील कार्यालय में सृजित 12 पदों में से 11 पद खाली चल रहे हैं। मात्र एक पटवारी के सहारे यह उपतहसील कार्यालय चल रहा है। यहां लोगों को कानूनगों तक की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। यहां पर तैनात नायब तहसीलदार भी प्रमोशन के बाद स्थानांतरित हो चुके हैं। जिससे स्थानीय लोगों को अब अपने कार्य करवाने के लिए नूरपुर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

सुक्खू सरकार भी दो साल में नहीं दे पाई सुविधाएं

स्थानीय लोगों का कहना है कि जयराम सरकार ने सिर्फ कागजों में ही सदवां को उपतहसील का दर्जा दिया था। लेकिन कांग्रेस ने भी सत्ता में आने के दो साल बाद यहां कोई बुनियादी सुविधा मुहैया नहीं करवाई। स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि सदवां उपतहसील में खाली पड़े पदों को जल्द भरा जाए, ताकि जनता के काम बाधित ना हों।  लोगों ने बताया कि शुरूआत में यहां नायब तहसीलदार की नियुक्ति की गई थी, लेकिन प्रमोशन के बाद वह भी यहां से चले गए और वह पद भी रिक्त हो गया। 

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क्या बोली नूरपुर की तहसीलदार

वहीं इस बारे में तहसीलदार नूरपुर राधिक सैनी ने बताया कि उपतहसील से जुड़ी मांगों को लेकर उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। लेकिन अभी तक स्टॉफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। 

सरकारों की घोषणाएं या भद्दा मजाक

बता दें कि ऐसा कई बार होता है कि सरकारें जब कार्यकाल खत्म होने वाला होता है तो कई कार्यालयों को अपग्रेड सहित नए कार्यालय खोलने की घोषणाएं कर देती हैं। लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना भूल जाती हैं। कुछ इसी तरह की बेरूखी का दंश सदवा उपतहसील भी झेल रही है। 

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अपने कार्यों के लिए जाना पड़ रहा नूरपुर

स्थानीय लोगों की मानें तो सदवां उपतहसील के खुलने से लोगों को अपने कार्यो के लिए नूरपुर जाने की परेशानी से निजात मिली थी। लेकिन यहां पर स्टॉफ पूरा ना होने से परेशानी होती थी। लेकिन अब तो यहां 12 में से 11 पद ही खाली चल रहे हैं। ऐसे में लोगों को एक बार फिर अपने काम करवाने के लिए नूरपुर का रूख करना पड़ रहा है। इससे न केवल जनता परेशान है, बल्कि सरकार और स्थानीय विधायक की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि क्षेत्र की जरूरतों को विधानसभा में प्रभावी ढंग से उठाने में स्थानीय प्रतिनिधि नाकाम साबित हो रहे हैं।

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