#अव्यवस्था

December 14, 2025

हिमाचल: लोगों की जिंदगियां बचाने वाले खुद बेहाल, एबुलेंस कर्मी बोले- अब नहीं सहेंगे शोषण; हड़ताल..

प्रतिदिन 12 घंटे लिया जाता है काम

शेयर करें:

Ambulance Services

शिमला। हिमाचल प्रदेश में आपातकालीन सेवाओं में तैनात 108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारी गंभीर शोषण का आरोप लगाते हुए हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा, जबकि 12 घंटे की ड्यूटी करवाई जाती है। ओवरटाइम, छुट्टियां और सामाजिक सुरक्षा लाभ भी नहीं मिल रहे। मांगें न माने जाने पर यूनियन ने 25 से 27 दिसंबर तक 48 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया है।

प्रतिदिन 12 घंटे लिया जाता है काम

जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन (सीटू) ने नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) और इसके अंतर्गत कार्यरत मेडस्वान फाउंडेशन पर कर्मचारी विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए औपचारिक रूप से हड़ताल का नोटिस जारी किया है। यूनियन का कहना है कि मेडस्वान फाउंडेशन के अधीन कार्यरत एंबुलेंस कर्मचारी वर्षों से गंभीर श्रम शोषण झेल रहे हैं।

यह भी पढ़ें : IGMC में बड़ा कांड : जूनियर डॉक्टरों को परेशान कर रहे थे सीनियर- शिकायत करने पर हुए सस्पेंड

कर्मचारियों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा, जबकि उनसे प्रतिदिन 12 घंटे काम लिया जाता है। इसके बावजूद ओवरटाइम वेतन का भुगतान नहीं किया जाता। यूनियन ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, लेबर कोर्ट, सीजेएम कोर्ट शिमला और श्रम विभाग के आदेशों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

कर्मचारियों की मुख्य मांगें

  • सरकारी नियमों के अनुसार न्यूनतम वेतन का तत्काल भुगतान
  • 12 घंटे की ड्यूटी पर नियमानुसार डबल ओवरटाइम वेतन
  • सभी वैधानिक छुट्टियों का पूर्ण प्रावधान
  • वाहन मेंटेनेंस, बीमा और बीमारी की अवधि में भी पूरा वेतन, बिना किसी कटौती
  • हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, सीजेएम कोर्ट और श्रम विभाग के आदेशों को तुरंत लागू किया जाए
  • यूनियन नेताओं व सदस्यों की मानसिक प्रताड़ना और बेवजह नोटिस देना बंद किया जाए
  • घरेलू जांच में कानून व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन, टीए/डीए की व्यवस्था

यह भी पढ़ें : सरकारी नौकरी के लिए युवकों ने रचा षडयंत्र, लेकर पहुंचे फर्जी सर्टिफिकेट- खुली पोल

  • ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 का पूर्ण पालन
  • ईपीएफ और ईएसआई की सभी त्रुटियों को तुरंत ठीक किया जाए
  • कुल वेतन में मूल वेतन (बेसिक सैलरी) को बढ़ाया जाए
  • GVK EMRI में की गई सेवा की निरंतरता व वरिष्ठता या लंबित ग्रेच्युटी, छंटनी भत्ता व नोटिस पे का भुगतान
  • पूर्व में कम दिए गए वेतन का कानूनी एरियर
  • हर वर्ष कम से कम 10 प्रतिशत वेतन वृद्धि
  • सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए

दबाव बनाकर दिलवाया जाता है इस्तीफा

कर्मचारियों का कहना है कि, जब वे यूनियन के माध्यम से अपनी जायज मांगें उठाते हैं, तो उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। यूनियन पदाधिकारियों के तबादले कर दिए जाते हैं या दबाव बनाकर उनसे इस्तीफा दिलवाया जाता है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : पैसों की कमी के चलते छोड़ दी थी पढ़ाई, नौकरी कर जुटाया धन- अब सेना में बना लेफ्टिनेंट

कई कर्मचारियों को बिना किसी कारण महीनों तक ड्यूटी से बाहर रखा जाता है और डराने-धमकाने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। नियमानुसार छुट्टियां नहीं दी जातीं और ईपीएफ व ईएसआई के क्रियान्वयन में भी गंभीर खामियां बताई गई हैं।

कर्मचारियों की परेशानियां

यूनियन ने यह भी बताया कि, मेडस्वान फाउंडेशन से पहले ये कर्मचारी GVK EMRI में कार्यरत थे, लेकिन वहां से हटाए जाने पर उन्हें न तो छंटनी भत्ता मिला और न ही ग्रेच्युटी, नोटिस पे जैसी वैधानिक सुविधाएं दी गईं। कर्मचारियों का मूल वेतन बेहद कम होने से उनकी आर्थिक स्थिति और भविष्य दोनों असुरक्षित बने हुए हैं।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख