#उपलब्धि
March 12, 2025
हिमाचल : बेलन की जगह ससुरालवालों ने थमाई किताब, बहु ने लेक्चरर बन बढ़ाया मान
बिना कोचिंग के पहले प्रयास में पाई सफलता
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सिरमौर। हिमाचल प्रदेश की बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। शिक्षा, खेल, विज्ञान, राजनीति, प्रशासन, सेना और एविएशन जैसे क्षेत्रों में हिमाचली बेटियां अपनी अलग पहचान बना रही हैं। पारंपरिक सोच और सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए वे आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं।
पहाड़ों की कठिन परिस्थितियों में पली-बढ़ी ये बेटियां अपनी मेहनत और लगन से नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। जहां एक समय महिलाओं की भागीदारी सीमित मानी जाती थी, वहीं आज वे सेना में अधिकारी बन रही हैं, पर्वतारोहण में रिकॉर्ड बना रही हैं, चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दे रही हैं।
सरकारी योजनाओं और परिवारों के सहयोग से आज हिमाचली बेटियां अपने सपनों को साकार कर रही हैं। वे न केवल अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं, बल्कि पूरे राज्य और देश के लिए प्रेरणा बन रही हैं। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि अगर अवसर और प्रोत्साहन मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में ऊंचाइयों को छू सकती हैं।
इसी कड़ी में सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र की बेटी ने भी अपना नाम होनहारों की सूची में जोड़ लिया है। टिटियाना गांव की बेटी तारा रमौल पहले ही प्रयास में PGT परीक्षा उत्तीर्ण कर इतिहास प्रवक्ता बनने का गौरव हासिल किया है।
तारा ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के हासिल की है। खास बात यह है कि एक साल पहले तारा की शादी हो गई थी। मगर शादी के बंधन में बंधने के बावजूद तारा ने अपने लक्ष्य को पूरा करने की ठान कर रखी।
घर कि जिम्मेदारियां निभाने के साथ-साथ तारा ने परीक्षा की तैयारी की और पहले ही अटेंप्ट में परीक्षा में उत्तीर्ण भी हो गई। तारा की इस सफलता से उनके मायके टिटियाना और सुसराल ठाणा गांव में खुशी की लहर है। दोनों ही घरों में बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। तांता के माता-पिता और ससुराल वाले तारा की इस सफलता से बेहद खुश हैं।
तारा ने प्रांरभिक शिक्षा टिटियाना गांव के स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई शिलाई से पूरी की। फिर बाद तारा ने नाहन से JBT की डिग्री हासिल की। इसके बाद तारा ने HPU से B.Ed करने के साथ-साथ हिस्ट्री और हिंदी में MA की डिग्री हासिल की। वर्तमान में तारा M.Ed की पढ़ाई कर रही हैं। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने परीक्षा की तैयारी जारी रखी और प्रवक्ता बनने का अपना सपना साकार किया।
तारा ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन अनीता रमौल को दिया है। अनीता पहले से ही इतिहास की प्रवक्ता हैं। तारा का कहना है कि अनीता उनकी रोल मॉडल हैं। अनीता ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और हर चुनौती में उनका हाथ थामे रखा। साथ ही हर कठिन समय में उनका मार्गदर्शन किया।
तारा ने बताया कि उनके इस सफर में उनके परिवार की अहम भूमिका रही। तारा छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। तारा का कहना है कि अगर परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो उनके लिए यह उपलब्धि हासिल करना आसान नहीं होता।
तारा ने बताया कि शादी से पहले उनके भाई-बहनों ने उनका साथ दिया। वहीं, शादी के बाद सुसराल में उन्हें बेटी की तरह प्यार मिला। ससुराल वालों और पति का पढ़ने के लिए उन्हें पूरा समर्थन मिला। तारा की इस सफलता की पूरे इलाके में काफी चर्चा हो रही है।