#उपलब्धि
March 12, 2025
हिमाचल : चपरासी का बेटा बना लेक्चरर, बिना कोचिंग के पहले ही अटेंप्ट में पाई सफलता
आर्थिक तंगी के बावजूद जारी रखी पढ़ाई, नहीं मानी हार
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सिरमौर। हिमाचल प्रदेश के कई बच्चे ऐसे हैं- जिनका बचपन संघर्षों भरा रहा। मगर फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सीमित संसाधनों के बावजूद बच्चों ने अपनी मेहनत के दम पर अपने सपनों को पूरा किया। सफलता मेहनत और लगन से हासिल की जाती है, यह बात सिरमौर जिले के सौरव ने सच कर दिखाई है।
एक चपरासी के बेटे होते हुए भी सौरव ने कभी अपने सपनों को छोटा नहीं समझा। कठिनाइयों और आर्थिक तंगी के बावजूद उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कड़ी मेहनत के बल पर प्रवक्ता बनने का सपना पूरा किया।
सौरव का बचपन संघर्षों में बीता, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसके माता-पिता ने सीमित संसाधनों के बावजूद उसकी शिक्षा को प्राथमिकता दी। सौरव ने हर परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन किया और अपनी प्रतिभा के दम पर सरकारी प्रवक्ता की नौकरी हासिल की।
सौरव नाहन विधानसभा क्षेत्र की सैनवाला पंचायत के रहने वाले हैं। 27 वर्षीय सौरव इतिहास विषय के लेक्चरर बन गए हैं। उनकी उपलब्धि से उनके पूरे परिवार और क्षेत्र में खुशी का माहौल है। सौरव के घर पर बधाई देने वाले लोगों का तांता लग गया है।
सौरव ने स्नातक और MA (इतिहास) की पढ़ाई नाहन से पूरी की। इसके बाद सौरव ने हिमालयन कॉलेज, कालाअंब से Bed. की और प्रवक्ता बनने की तैयारी शुरू कर दी। सौरव ने बिना किसी कोचिंग के खुद ही पेपर की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता भी हासिल की।
सौरव के पिता रामगोपाल शिक्षा विभाग में सेवानिवृत्त चपरासी हैं। सौरव की मां नेहा तोमर गृहिणी हैं। वर्तमान में सौरव की मां पंचायत की वार्ड मेंबर के रूप में सेवाएं दे रही हैं। सौरव का बड़ा भाई गौरव मोहन फॉरेर्स्ट गार्ड के पद पर कार्यरत है। सौरव कि इस उपलब्धि से माता-पिता बेहद खुश हैं। सौरव के पिता का कहना है कि उनके लिए यह बेहद की गर्व की बात है कि उनका बेटा इतने बड़े पद पर पहुंचा है। उनका कहना है कि सौरव ने ये मुकाम कड़ी मेहनत से हासिल किया है।
सौरव ने ये सफलता हासिल कर साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से कोई भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। यह कहानी सिर्फ सौरव की नहीं, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने हालात से लड़कर ऊंचाइयों तक पहुंचना चाहते हैं।