#उपलब्धि
October 7, 2025
हिमाचल में जज बनी हरियाणा की बेटी, 3 साल तक फोन को रखा खुद से दूर
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल हैं सोना के पिता और और माता गृहिणी हैं
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शिमला। हरियाण की एक बेटी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर हौसले बुलंद हों और लक्ष्य साफ हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। हरियाणा के रोहतक जिले के भैनी महाराजपुर गांव की बेटी सोना रोपड़िया ने कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास के बल पर हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा में चयन प्राप्त कर राज्य और प्रदेश- दोनों का नाम रोशन कर दिया है।
सोना चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के कानून विभाग की प्रतिभाशाली छात्रा रही हैं। सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में उनके सम्मान में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कुलगुरु प्रो. विजय कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। कार्यक्रम में सोना के माता-पिता, शिक्षकों, और विद्यार्थियों ने गर्व के साथ इस सफलता का जश्न मनाया।
सोना रोपड़िया का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता सुंदर सिंह, जो एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल हैं, और माता दर्शन देवी, एक गृहिणी हैं। साधारण माहौल से निकलकर उन्होंने असाधारण उपलब्धि हासिल की है। सोना बताती हैं कि उन्होंने इस मुकाम को पाने के लिए दिन-रात एक कर दिया था।
सोना रोपड़िया ने बताया कि वो रोजाना 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई करती थी। तीन साल तक मोबाइल से दूरी बनाई रखी- सिर्फ यूट्यूब पर पढ़ाई से जुड़ी सामग्री ही देखती थी। इससे उन्हें पढ़ने में काफी मतलब मिलती थी।
सोना की मेहनत का यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने पहले हरियाणा न्यायिक सेवा परीक्षा में प्रयास किया था, लेकिन इंटरव्यू राउंड में रह गईं। हार मानने के बजाय उन्होंने हिमाचल प्रदेश से प्रयास किया और इस बार कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर सफलता हासिल कर ली।
प्रो. विजय कुमार ने कहा कि सोना की सफलता केवल विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं, बल्कि हर उस विद्यार्थी के लिए प्रेरणा है जो सपनों को साकार करना चाहता है। मेहनत, निष्ठा और अनुशासन सफलता की असली कुंजी हैं।
बेटी की सफलता देख पिता भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह क्षण गर्व से भरा है। मेरी बेटी ने यह साबित किया है कि गांव की बेटियां भी बुलंदियों को छू सकती हैं, अगर उन्हें सही दिशा और प्रोत्साहन मिले।
कानून विभाग के प्राध्यापक डॉ. विकास पूनिया ने बताया कि सोना अपने विद्यार्थी जीवन में हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन करती रही हैं। वह विश्वविद्यालय की गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं और कई शैक्षणिक एवं सह-शैक्षणिक गतिविधियों में शीर्ष स्थान प्राप्त कर चुकी हैं।
सोना ने कहा कि मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में मेरे माता-पिता और गुरुओं का अहम योगदान है। उन्होंने हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाया और कठिन समय में हिम्मत दी। मैं चाहती हूं कि मेरे जैसी ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली अन्य बेटियां भी अपने सपनों को साकार करें।
सोना की प्रारंभिक शिक्षा हिसार के रामचंद्र कन्या विद्यापीठ मदनहेड़ी में हुई, जबकि 10वीं से 12वीं तक की पढ़ाई हिसार के सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। पिता के प्रिंसिपल होने के कारण घर में शिक्षा का माहौल हमेशा सकारात्मक रहा।