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November 22, 2025
हिमाचल: खेतों में पिता की कड़ी मेहनत नहीं भूली बेटी, दिल्ली AIIMS में बनी नर्सिंग ऑफिसर
किसान की बेटी ने कड़ी मेहनत से सच किए अपने सपने
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किन्नौर। कहते हैं कि मेहनत की राहों पर चलने वालों के कदम कभी नहीं रुकते, जो सपनों को सच कर दिखाए, वही असली मुकद्दर के हकदार होते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल के जनजातीय जिला के दुर्गम क्षेत्र की बेटी मनीषा नेगी ने। साधारण से हालात और सीमित संसाधनों के बीच पली.बढ़ी इस बेटी ने अपने सपनों को हकीकत का रूप दिया और साबित कर दिया कि मेहनत और जज्बा हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।
दरअसल हिमाचल के जनजातीय जिले किन्नौर के दुर्गम क्षेत्र चौरा गांव की मनीषा नेगी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में नर्सिंग ऑफिसर का पद हासिल कर लिया है। साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस प्रतिभाशाली युवती ने यह सफलता अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के चलते हासिल की है। उनकी सफलता ने न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे जिले को गौरविंत कर दिया है।
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मनीषा के पिता नरेंद्र सिंह खेती करते हैं। जबकि उनकी मां मानकाली प्राथमिक विद्यालय में हेड टीचर हैं। घर के साधारण माहौल में भी माता-पिता ने अपनी बेटियों को हमेशा पढ़ाई और मेहनत के लिए प्रेरित किया। मनीषा बताती हैं कि यदि परिवार का हौसला न मिलता तो कठिन परिस्थितियों में इतना बड़ा लक्ष्य पाना आसान नहीं था।
मनीषा बचपन से ही स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करना चाहती थीं। पहाड़ी क्षेत्र में पली.बढ़ी इस होनहार छात्रा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सराहन में पूरी की, जिसके बाद दसवीं ज्यूरी पब्लिक स्कूल और बारहवीं डीपीएस झाखड़ी से की। इसके बाद उन्होंने शिमला के अन्नाडेल से बीएससी नर्सिंग की चार वर्षीय डिग्री उत्तीर्ण कर अपने सपनों की मजबूत नींव रखी।
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एम्स की NORCET परीक्षा जिसे देश की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक माना जाता है, में मनीषा ने इस वर्ष शानदार प्रदर्शन किया। 14 सितंबर को आयोजित प्री.परीक्षा और 27 सितंबर की मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने एम्स दिल्ली में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में अपनी जगह पक्की कर ली।
अपनी उपलब्धि पर मनीषा विनम्रता से कहती हैं कि उनकी कामयाबी उनके परिवार की मेहनत और मनोबल का परिणाम है। उन्होंने खासकर अपनी मां मानकाली और बड़ी बहन साक्षी सयोगी का उल्लेख किया, जिन्होंने हर कदम पर उन्हें प्रेरित किया। मनीषा के अनुसार अनुशासन, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास ही हर सपने को सच बनाने की कुंजी हैं।
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मनीषा नेगी की यह सफलता उन युवाओं के लिए संदेश है जो सीमित साधनों में भी बड़ी सोच और बड़े सपनों को जिन्दा रखते हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली मनीषा ने न सिर्फ सामाजिक मानकों को चुनौती दी, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि प्रतिभा और संकल्प किसी भौगोलिक सीमा या संसाधनों पर निर्भर नहीं होते। उनकी कहानी आज पूरे किन्नौर ही नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी है।