#उपलब्धि
September 7, 2025
हिमाचल : बेटी को लेफ्टिनेंट की वर्दी में देख भावुक हुआ फौजी पिता, सैल्यूट कर लगाया गले
दीक्षा ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है
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हमीरपुर। हौंसलों की उड़ान जब परवाज भरती है, तो बेटियां भी आसमान को छू लेती हैं। इन्हीं शब्दों को बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है हमीरपुर जिले की एक बेटी ने। बेटी की इस सफलता ने वीरभूमि हमीरपुर ने एक और सुनहरी उपलब्धि अपने नाम की है।
नादौन उपमंडल की जोलसप्पड़ पंचायत के कोहला पलासड़ी गांव की बेटी दीक्षा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। यह केवल उनके परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र और प्रदेश के लिए गर्व का क्षण है।
दीक्षा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कांगू स्थित DAV स्कूल से प्राप्त की और 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई यहीं से पूरी की। इसके बाद उन्होंने मंडी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ ही उन्होंने अपने सपनों को दिशा दी और NDA परीक्षा में सफलता हासिल की।
NDA पास करने के बाद उन्होंने SSC-W Tech एंट्री के तहत सितंबर में प्रशिक्षण शुरू किया। कठोर सैन्य प्रशिक्षण पूरा करने के बाद दीक्षा ने गया में पासिंग आउट परेड में शिरकत की और लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना का हिस्सा बनीं।
अपनी इस सफलता का श्रेय दीक्षा ने अपने दादा स्वर्गीय शोभन सिंह, दादी सुखां देवी, अपने माता-पिता और अध्यापकों को दिया है। उन्होंने कहा कि इन सभी ने उन्हें हमेशा पढ़ाई और करियर के लिए बेहतर माहौल दिया और उनका हौंसला बढ़ाया।
दीक्षा के पिता रतन चंद स्वयं सेना में कार्यरत हैं, जबकि माता सरिता देवी गृहिणी हैं। उनका भाई अक्षरय कुमार इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। दीक्षा के माता-पिता का कहना है कि बचपन से ही उनकी बेटी अपने भविष्य के प्रति बेहद जिम्मेदार थी और मेहनत व संघर्ष को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत मानती थी। आज वही मेहनत उसे इस मुकाम तक लाई है।
लेफ्टिनेंट की वर्दी में देख भावुक हुआ फौजी पिता
दीक्षा के पिता उन्हें लेफ्टिनेंट की वर्दी में देख भावुक हो गए। उन्होंने पहले दीक्षा को सैल्यूट किया और फिर उसे गले लगा लिया। दीक्षा की मां के भी खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
दीक्षा की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि वीरों की धरती हिमाचल की यह बेटी साबित कर रही है कि आज के समय में बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं।
दीक्षा के सेना में अफसर बनने की खबर जैसे ही क्षेत्र में पहुंची, गांव और आसपास में खुशी की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोगों ने इसे पूरे इलाके के लिए गर्व का क्षण बताया और कहा कि दीक्षा आने वाली पीढ़ियों की लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।