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March 16, 2025

हिमाचल : मेजर साहब का बेटा बना लेफ्टिनेंट, बचपन से ही था देश सेवा करने का सपना

NCC कैडेट रहे हैं अभय, थल सेना शिविर में करते थे प्रतिनिधित्व

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Lieutenant Abhay Singh Rawat

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के कई होनहार युवा भारतीय सेना में बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं। हाल ही में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई में हुई पासिंग आउट परेड से हिमाचल के कई युवा पास आउट हुए हैं। हिमाचल के कई बेटे-बेटियों ने लेफ्टिनेंट बन प्रदेश का नाम देशभर में रोशन किया है। इन्हीं होनहारों की सूची में कांगड़ा के अभय सिंह रावत ने भी अपना नाम जोड़ लिया है।

लेफ्टिनेंट बना पालमपुर का बेटा

पालमपुर के ठाकुरद्वारा के रहने वाले अभय सिंह रावत ने OTA चेन्नई से 8 गोरखा राइफल्स में बतौर लेफ्टिनेंट कमीशन प्राप्त कर अपने क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। अभय की इस सफलता से पूरे परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर है।

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मिला चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ

आपको बता दें कि अकादमी की चयन प्रक्रिया में अभय की मीकटिला कंपनी चैंपियन रही- जिसमें अभय को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के बैनर से भी सम्मानित किया गया। अभय की यह उपलब्धि हिमाचल के लिए बहुत गर्व की बात है।

कहां से हुई अभय की स्कूलिंग?

अभय सिंह रावत ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई, चंडीगढ़, दिल्ली और नागपुर से पूरी की है। इसके बाद उदन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री हिसलोप कॉलेज, नागपुर से हासिल की।

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फुटबाल के बेहतरीन खिलाड़ी

अभय पढ़ाई के साथ-साथ फुटबाल के भी बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। स्कूल और कॉलेज के समय अभय प्रतिनिधित्व करते थे। इसके अलावा अभय NCC कैडेट भी रहे हैं। अभय दिल्ली में आयोजित थल सेना शिविर में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते थे।

मेजर रहे हैं अभय के पिता

अभय के पिता मेजर महेंद्र सिंह रावत भी प्रथम गोरखा राइफल्स में मेजर के रूप पदासीन रहे हैं। इसके बाद साल 2000 में वो RBI में उप महाप्रबंधक के पद पर भी आसीन रहे हैं। अभय की मां राकेश रावत एक गृहिणी हैं।

 

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बचपन का सपना किया पूरा

अभय के माता-पिता का कहना है कि उन्हें अभय कि इस सफलता पर बहुत गर्व है। अभय बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार रहा है। अभय का बचपन से ही देश सेवा करने का सपना था। उसने अपना सपना पूरे करने के लिए दिन-रात मेहनत की है। अभय ने लेफ्टिनेंट बन यह साबित कर दिया है कि अगर दिल में किसी चीज को पाने की सच्ची चाह हो तो आपको कोई भी चीज उसे पाने से रोक नहीं सकती है।

 

अभय ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और भगवान को दिया है। अभय का कहना है कि उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्हासित किया। उन्होंने कि आज वो जो कुछ भी हैं सब कुछ माता-पिता की बदौलत हैं।

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