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September 8, 2025

हिमाचल: माता-पिता ने पंखों को दी उड़ान, बेटी जीत लाई आसमान- JRF किया क्लियर

देशभर में कंचन ने हासिल किया 101वां रैंक

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Kanchan Jaryal

हमीरपुर। किसी ने क्या खूब लिखा है कि मेहनत वो चाबी है, जो सपनों के ताले खोल देती है… हौसले वो पर हैं, जो मंज़िल तक उड़ान भर देते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हमीरपुर जिले की बेटी कंचन जरयाल ने।

CSIR UGC-NET JRF परीक्षा में पाया 101वां रैंक

कंचन जरयाल ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया कि अगर मन में लक्ष्य हो और विश्वास अटूट हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। गलोड़ क्षेत्र के छोटे से गांव गोइस की रहने वाली कंचन ने CSIR UGC-NET JRF परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 101वां रैंक हासिल कर अपने परिवार, क्षेत्र और पूरे हिमाचल का नाम रोशन किया है।

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शिक्षा की मजबूत नींव

कंचन की प्रारंभिक शिक्षा DAV स्कूल, कांगू से हुई। बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रही कंचन ने उच्च शिक्षा की दिशा में कदम बढ़ाते हुए चंडीगढ़ का रुख किया। उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएट गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर-42 से BSC. और फिर GGDSD कॉलेज, सेक्टर-32 से MSC. पूरी की। पढ़ाई के दौरान उनकी मेहनत और विषय के प्रति गहरी समझ ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता दिलाई।

परिवार का योगदान और प्रेरणा

कंचन की सफलता में परिवार का अहम योगदान रहा है। पिता कृष्ण जरयाल, जिन्होंने वर्षों दुबई में नौकरी करने के बाद अब हमीरपुर में व्यवसाय शुरू किया, हमेशा बेटी को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते रहे। माता रेणु, जो गृहिणी हैं, ने कंचन को हर पल सहयोग और प्रेरणा दी। भाई अनीश जरयाल वर्तमान में चंडीगढ़ में पढ़ाई कर रहे हैं और अपनी बहन की इस उपलब्धि से गर्वित हैं।

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कंचन ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि उनकी उपलब्धि उनके दादा स्वर्गीय प्रकाश चंद जरयाल और दादी सरस्वती देवी के सपनों को साकार करने वाली है।

युवाओं के लिए प्रेरणा

कंचन की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि पूरे प्रदेश की उन बेटियों के लिए भी प्रेरणा है जो बड़े सपने देखने का साहस करती हैं। एक छोटे से गांव से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली कंचन आज इस बात की मिसाल हैं कि अवसर और मेहनत के संगम से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

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