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December 1, 2025

हिमाचल : नौसेना में अफसर बना लाडला, मां की आंखें छलकी- पिता का सीना गर्व से चौड़ा

बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे अर्श गुलेरिया

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Indian Navy Sub Lieutenant Arsh Guleria

कांगड़ा। कहते हैं कि हौसलों की उड़ान जब आसमान से भी ऊंची हो जाए, मेहनत की किरण जब किस्मत की धुंध मिटा जाए, तब जन्म लेती है वो सफलता- जो सिर्फ परिवार नहीं, पूरा क्षेत्र गर्व से सजाए। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल के कांगड़ा जिले के होनहार बेटे अर्श गुलेरिया ने।

जल सेना में सब लेफ्टिनेंट बने अर्श

धर्मशाला के गांव टंग (टिक्करी) के अर्श गुलेरिया इसी सफलता का चमकता हुआ उदाहरण बनकर उभरा है। भारतीय जल सेना में सब-लेफ्टिनेंट का प्रतिष्ठित पद हासिल कर अर्श ने न केवल अपने माता-पिता और परिवार का मान बढ़ाया है, बल्कि समूचे क्षेत्र का नाम देशभर में रोशन किया है।

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बचपन से ही पढ़ाई में थे तेज

अर्श गुलेरिया, बृजमोहन गुलेरिया और रजनी गुलेरिया के पुत्र हैं। बचपन से ही पढ़ाई में तेज और अनुशासनप्रिय अर्श ने अपनी शुरुआती शिक्षा सैक्रेड हार्ट विद्यालय, सिद्धपुर से पूरी की। स्कूल के दिनों में वे पढ़ाई के साथ खेल और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में भी सक्रिय रहे, जिसने उनके व्यक्तित्व को और मजबूत बनाया।

इंजीनियरिंग स्टूडेंट रहे अर्श

स्कूल के बाद अर्श ने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और यहां भी उन्होंने अपनी लगातार मेहनत से बेहतरीन प्रदर्शन किया। तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ नेतृत्व क्षमता और टीमवर्क में भी अर्श हमेशा आगे रहे, जिसने उन्हें सैन्य जीवन के लिए और अधिक तैयार किया।

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भारतीय जल सेना की ओर सफर

कठिन चयन प्रक्रिया को पार करते हुए अर्श ने 30 दिसंबर 2024 को कमीशन पास किया। इसके बाद वे केरल के एझिमाला स्थित भारतीय नौसेना अकादमी में एक वर्ष की कठोर प्रशिक्षण अवधि के लिए शामिल हुए। यह प्रशिक्षण शारीरिक क्षमता, मानसिक मजबूती, समुद्री कौशल और नेतृत्व-चारों की कड़ी परीक्षा होती है। परंतु अर्श ने हर चरण को दृढ़ संकल्प और अनुशासन के साथ पूरा किया।

सब-लेफ्टिनेंट बन क्षेत्र का मान बढ़ाया

लगातार प्रयास और कठिन परिश्रम के बाद 29 नवंबर को भारतीय नौसेना अकादमी में आयोजित भव्य पासिंग आउट परेड के दौरान अर्श गुलेरिया ने सब-लेफ्टिनेंट के रूप में शपथ ली। परेड ग्राउंड में कदमताल करते हुए अर्श ने वह उपलब्धि हासिल की, जिसका सपना कई युवा देखते हैं।

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किसे दिया सफलता का श्रेय?

इस गर्व भरे क्षण में अर्श ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और शिक्षकों को दिया। उन्होंने कहा कि आज जो भी वह हैं, वह परिवार के सहयोग और शिक्षकों की प्रेरणा के कारण हैं।

गांव में जश्न का माहौल

अर्श की इस उपलब्धि की खबर क्षेत्र में फैलते ही गांव टंग (टिक्करी) में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने उनके घर पहुंचकर बधाई दी और मिठाई बांटी। युवाओं के लिए अर्श एक प्रेरणा बन चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अर्श ने साबित कर दिया कि पहाड़ी क्षेत्रों से निकलने वाला युवा भी अपनी लगन और मेहनत से देश की वर्दी पहनकर राष्ट्र सेवा कर सकता है।

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