#उपलब्धि
May 18, 2025
हिमाचल: शिक्षक पिता ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई बेटियां, दोनों ने टॉप 10 में बनाई जगह
बेटियों ने भी नहीं टूटने दिया शिक्षक पिता का भरोसा
शेयर करें:
हमीरपुर। आज के दौर में हर कोई अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहता है। यहां तक कि सरकारी स्कूल के शिक्षक भी अपने बच्चों को निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाते हैं। लेकिन हिमाचल के हमीरपुर जिला के एक शिक्षक बड़ी मिसाल पेश करते हुए अपनी दोनों बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाया। वहीं बेटियों ने भी पिता के इस भरोसे को टूटने नहीं दिया और बोर्ड परीक्षाओं में टॉपर में जगह बना कर पिता के विश्वास को एक नई ऊर्जा दे दी। इस शिक्षक और उसकी दोनों बेटियों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की अवधारणा को बदल दिया।
दरअसल सरकारी स्कूलों को लेकर अक्सर यह धारणा रहती है कि वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलती, लेकिन हमीरपुर के एक शिक्षक और उनकी दो बेटियों ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चबूतरा में कार्यरत हिंदी विषय के अध्यापक रमेश चंद ने अपनी बेटियों को निजी स्कूल में न भेजकर उसी स्कूल में पढ़ाया जहां वे स्वयं शिक्षक हैं। वहीं शिक्षक की दोनों बेटियों ने भी अपनी मेहनत से यह साबित कर दिखाया कि सफलता सिर्फ महंगे स्कूलों की मोहताज नहीं होती।
शिक्षक रमेश चंद की बड़ी बेटी दीक्षा कत्थयाल ने वर्ष 2023 में 10वीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया था। अब 12वीं कक्षा (कला संकाय) में उन्होंने 500 में से 478 अंक (95.6) प्रतिशत अर्जित कर प्रदेशभर में चौथा स्थान प्राप्त किया है। दीक्षा का सपना है कि वह IAS अधिकारी बने और देश की सेवा करे। वहीं, छोटी बेटी सपना कत्थयाल ने इस वर्ष 10वीं कक्षा में 700 में से 688 अंक (98.29) प्राप्त कर प्रदेश में नौवां स्थान हासिल किया है। सपना वर्तमान में विज्ञान संकाय की छात्रा हैं और उनका लक्ष्य है डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना।
यह भी पढ़ें : हिमाचल : पिता कैंसर के मरीज- बेटी ने नहीं छोड़ी उम्मीद, टॉप-10 में जगह बना दी खुशी
शिक्षक रमेश चंद का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में इसलिए पढ़ाया, ताकि समाज में फैली उस धारणा को चुनौती दी जा सके, जिसमें सरकारी स्कूलों को कमतर आंका जाता है। उन्होंने कहा कि "अगर शिक्षक खुद अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाएंगे, तो समाज में विश्वास कैसे पैदा होगा"
विद्यालय के प्रधानाचार्य संजय कुमार ने दोनों छात्राओं की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे स्कूल की ये बेटियां आज पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बनी हैं। यह दिखाता है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से सरकारी स्कूलों में भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतिभाएं तैयार हो सकती हैं। दीक्षा और सपना दोनों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पढ़ाई को लेकर बच्चों को तनाव लेने की ज़रूरत नहीं है। नियमित अभ्यास, समय प्रबंधन और अपने डाउट्स समय पर दूर करने से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।