#हादसा
October 8, 2025
हिमाचल: क्या नजरअंदाज किए गए खतरे के संकेत ? 16 मौ*तों का जिम्मेदार कौन ? उठ रहे कई सवाल
स्थानीय लोग बता रहे प्रशासन की लापरवाही
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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में हुए बस हादसे से हर कोई स्तब्ध है। इस घटना ने बिलासपुर जिले को झकझोर कर रख दिया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये बस हादसा टाला जा सकता था ? अगर समय रहते प्रशासन ने जरूरी कदम उठाए होते तो कई जिंदगियां बच जाती। आइए आपको बताते हैं कि हम किस लापरवाही की बात कर रहे हैं।
सबसे पहले जान लेते हैं कि हादसा कैसे हुआ। दरअसल एक निजी बस मरोतन से घुमारवीं की ओर जा रही थी। बस जब भल्लू पुल के पास पहुंची तो पहाड़ी से गिरे मलबे में दब गई। बस में सवार यात्रियों को कुछ समझने का मौका तक नहीं मिला।
हादसे में 16 लोगों ने अपनी जान गंवा दी लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कोई पहला मौका नहीं था जब इस जगह पर लैंडस्लाइड हुआ हो। चौंकाने वाली बात यही है कि इस पहाड़ी से 2 दिन पहले भी मलबा गिरा था लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर पहले ही खतरे के संकेत मिल चुके थे तो उन्हें नजरअंदाज क्यों किया गया ? लोकल लोगों के मुताबिक तो पहाड़ी पहले से ही रेतीली और कमजोर थी। बरसात में तो ये इलाका और ज्यादा खतरनाक हो जाता है।
स्थानीय बताते हैं कि दो दिन पहले ही जब इस स्थान पर मलबा गिरा तो प्रशासन ने इसे हटवाया तो था लेकिन मार्ग को बंद नहीं किया गया या कोई चेतावनी बोर्ड यहां नहीं लगाया गया। लोग मानते हैं कि प्रशासन ने खतरे को नजरअंदाज किया जो जानलेवा साबित हुआ।
इतना ही नहीं, यहां के लोग कहते हैं कि इस पहाड़ी क्षेत्र में चोरी-छिपे माइनिंग भी होती रही है। वैसे तो कोई खुलकर इस बारे में बोलने को तैयार नहीं लेकिन लोगों का दावा है कि रात के समय में भारी मशीनों की आवाजें व ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की आवाजाही देखी जाती रही है।
वहीं इस मामले में एक और लापरवाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि जैसे ही ये हादसा हुआ, ग्रामीणों ने तुरंत इसकी जानकारी प्रशासन को दी लेकिन सूचना के बावजूद बचाव दल देरी से पहुंचा और जेसीबी मंगवाने में भी देर की गई।
कुल मिलाकर इस हादसे को टाला जा सकता था। पहले से मिल रहे संकेतों को गंभीरता से लिया गया होता तो जरूरी एहतियात बरते जा सकते थे, सड़क मार्ग बंद करवाया जा सकता था लेकिन अफसोस, समय रहते ऐसा नहीं हुआ।