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June 27, 2025

हिमाचल : पानी का सैलाब देख जंगल की ओर भागा लवली, बताया कैसे पल भर में तबाह हुआ सब कुछ

दो दिन पहले ही काम पर पहुंचा था लवली

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कांगड़ाहिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मनूणी खड्ड में बुधवार को अचानक आई बाढ़ ने दर्जनों जिंदगियों को संकट में डाल दिया। इस भयावह हादसे में जहां कई मजदूर लापता हो गए, वहीं कुछ लोगों ने मौत को बेहद करीब से देखा और चमत्कारी ढंग से अपनी जान बचाई। ऐसे ही एक मजदूर 21 वर्षीय लवली की कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है, जिसने जंगल में अकेले एक भयावह रात बिताई और किसी तरह जिंदा बच निकला।

दो दिन पहले ही काम पर पहुंचा था लवली

चंबा जिले के राख गांव का रहने वाला लवली दो दिन पहले ही धर्मशाला के पास चल रहे एक निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट में मजदूरी के लिए पहुंचा था। उसने बताया कि वह बुधवार को दोपहर बाद पावर हाउस के पास कार्यरत था, जब अचानक खड्ड में बाढ़ का शोर सुनाई दिया।

 

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खतरे की आहट मिलते ही वह पहाड़ी की ओर भागा और ऊंचाई की तरफ चढ़ गया। पानी इतनी तेज़ी से बढ़ा कि उसके बाकी साथियों को बचने तक का मौका नहीं मिला।

एक रात अकेले जंगल में बिताई

लवली ने बताया कि जब वह पहाड़ी पर चढ़ा, तो बारिश लगातार हो रही थी और हर तरफ अंधेरा और डरावना सन्नाटा था। उस रात उसने जंगल में बिना कुछ खाए-पिए काटी। न तो कोई साथी था, न खाना, और न ही कोई आश्रय। वह पूरी रात भीगता रहा और ठंड से कांपता रहा। डर, भूख और थकावट के बीच वह सुबह का इंतजार करता रहा।

रेस्क्यू टीम बनी जीवन रक्षक

अगली सुबह करीब 9 बजे जब एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं तो लवली ने चिल्ला कर आवाज दी। उसे देखते ही रेस्क्यू दल के सदस्य खतरनाक ढलानों और गिरते पत्थरों के बीच उसके पास पहुंचे और उसे सुरक्षित नीचे लाए।

 

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लवली ने बताया कि रेस्क्यू टीम ने उसे बिस्किट और खाना दिया, जिससे उसकी जान बची। उसने कहा कि अगर वो समय पर नहीं आते, तो शायद भूख और ठंड से उसकी जान चली जाती।

जो घर पर छुट्टी पर थे, उनकी बची जान

इसी प्रोजेक्ट में कार्यरत चंबा जिले के दो अन्य मजदूर राकेश कुमार और विरेंद्र कुमार ने बताया कि वे कुछ दिन पहले ही छुट्टी लेकर अपने गांव गए थे। जब उन्होंने त्रासदी की खबर सुनी तो रात में ही बस पकड़ी और वीरवार सुबह घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा थी जो वे उस दिन मौके पर नहीं थे, वरना उनके साथ भी अनहोनी हो सकती थी।

प्रवासी मजदूर ने दिखाई इंसानियत

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के असगर अली, जो पिछले 25 वर्षों से हिमाचल में स्लेट खानों में कार्यरत हैं, ने मानवीयता की मिसाल पेश कीजब बाढ़ आई तो उन्होंने जोर-जोर से आवाज़ लगाकर साथियों को सतर्क किया और आज वह बचे हुए मजदूरों के सामान की रक्षा कर रहे हैंउनका कहना है कि जब तक सभी मजदूर अपना सामान वापस नहीं ले जाते, वे वहां से नहीं हटेंगे।

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