#हादसा
September 7, 2025
हिमाचल: मां और दो बेटियों का एक साथ उजड़ा सुहाग, ससुर के साथ दो दामाद की भी थमी सांसें
ससुर को इलाज के लिए दोनों दामाद ले जा रहे थे लुधियाना, खाई जा गिरी एंबुलेंस
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कांगड़ा। जीवन कब किस मोड़ पर थम जाए, कोई नहीं जानता। हिमाचल प्रदेश में बीते रोज एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने एक साथ मां और उसकी दो बेटियों का सुहाग उजाड़ दिया। इस हादसे में एक ससुर और उसके दो दामाद की मौके पर ही मौत हो गई। जिससे एक ही परिवार को एक साथ कई गम मिले। इस दर्दनाक सड़क हादसे ने तीन परिवारों को कभी ना भूलने वाले जख्म दे दिए।
दरअसल हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर गगरेट के समीप मंगूवाल में शनिवार सुबह हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने तीन परिवारों की खुशियां पलभर में छीन लीं। बेहतर इलाज के लिए सफर पर निकले परिजनों को यह आभास भी नहीं था कि यह सफर ही उनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव बन जाएगा। हादसे में मां और उनकी दो बेटियों का सुहाग एक साथ उजड़ गया।
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इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना में 85 वर्षीय सेना से सेवानिवृत्त ओंकार सिंह, उनके दो दामाद संजीव सोनी और राकेश कपूर की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उनकी बेटी रेणु भल्ला गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह हादसा पूरे इलाके में मातम और गहरे शोक की लहर छोड़ गया है।
ओंकार सिंह कुछ समय से बीमार चल रहे थे और गंगथ में अपनी बेटी रेणु भल्ला के पास रह रहे थे। शुक्रवार को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें टांडा मेडिकल कॉलेज से लुधियाना स्थित डीएमसी अस्पताल रेफर किया गया। रातभर की चिंता और उम्मीदों के बीच परिवार ने उन्हें बेहतर इलाज दिलाने का निश्चय किया। लेकिन सुबह होते-होते किस्मत ने ऐसी करवट ली कि एंबुलेंस का सफर हादसे में बदल गया।
ओंकार सिंह को एंबुलेंस में डीएमसी ले जाया जा रहा था। एंबुलेंस में उनके दोनों दामाद और बेटी भी सवार थे। यह सभी लोग उनके साथ जा रहे थे, ताकि इलाज के सफर में पिता को सहारा मिल सके। लेकिन यही सहारा उनकी जीवन की आखिरी डोर बन गया। संजीव सोनी, निवासी पठियार प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे। दो बेटियों के पिता संजीव अपने परिवार का मजबूत स्तंभ थे। एक बेटी की शादी हो चुकी है जबकि दूसरी शिमला में पढ़ाई कर रही है। पीछे उनकी पत्नी अंजलि अब अकेलेपन का बोझ उठाने को मजबूर हो गई हैं।
वहीं ओंकार सिंह का दूसरा दामाद राकेश कपूर नूरपुर के जाने.माने व्यवसायी। वह बिजली के सामान की दुकान चलाते थे। उनके अचानक निधन ने पूरे क्षेत्र को गमगीन कर दिया। वे अपने पीछे पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए हैं।
इस हादसे ने तीन घरों के चिराग बुझा दिए। मां और दो बेटियों के जीवनसाथी छिन गए] एक बूढ़ा पिता अपनी अंतिम घड़ी में सहारा देने वालों के संग विदा हो गया। परिवार के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। रिश्तेदार और पड़ोसी संवेदनाएं जताने के लिए जुटे हैं] लेकिन टूटे हुए मन को संभालना आसान नहीं।
नूरपुर नगर परिषद के अध्यक्ष अशोक शर्मा, व्यापार मंडल अध्यक्ष अश्वनी सूरी और पूर्व विधायक अरुण मेहरा सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं प्रकट की हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा सिर्फ तीन परिवारों का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का नुकसान है।
यह हादसा एक गहरा सवाल छोड़ गया- क्या जिंदगी की जद्दोजहद और उम्मीदों से भरा यह सफर इतना अस्थिर है कि अगला पल हमें कहीं और ले जाए? मां और बेटियों के लिए यह पीड़ा ऐसी है, जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है। परिवार और समाज के लिए यह हादसा हमेशा न भूलने वाला घाव बनकर रह जाएगा।