#हादसा
September 8, 2025
हिमाचल: 11 साल की बच्ची को उठा ले गया भालू, जंगल में बकरी चराने गई थी; देह देख कांप गई रूह
सहेली के साथ बकरी चराने जंगल गई थी 11 साल की आईशा
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चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला से एक बेहद ही दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। इस घटना ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है। चंबा जिला के चुराह उपमंडल में एक भालू ने हमला कर 11 साल की बच्ची को मार डाला है। यह घटना न केवल परिवारए बल्कि पूरे गांव के लिए एक गहरी त्रासदी बन गई है।
यह दर्दनाक घटना चुराह क्षेत्र की आयल पंचायत के चुहाली गांव की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि गांव की 11 वर्षीय बच्ची आईशा बेगम अपनी सहेली के साथ जंगल में बकरी चराने गई थी। इसी दौरान उस पर अचानक भालू ने हमला कर दिया और घसीट कर दूर ले गया, जब तक इस घटना की जानकारी परिजनों और परिवार को मिली, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
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मिली जानकारी के अनुसार आईशा बेगम पुत्री जमाल दीन रोज की तरह अपनी सहेली के साथ बकरी चराने निकली थी। गांव से करीब 500 मीटर दूर दोनों बच्चियां जैसे ही जंगल के रास्ते में पहुंची, एक भालू अचानक झाड़ियों से निकलकर उन पर टूट पड़ा। आईशा पर झपटते हुए भालू ने उसे उठाया और घने जंगल की ओर ले गया। कुछ पल बाद भालू फिर उसी जगह वापस आया, लेकिन तब तक आईशा बेगम की सहेली झाड़ियों में छिप गई थी, जिसके चलते उसकी जान बच गई।
इसी दौरान उसी रास्ते से आईशा बेगम का चाचा वहां से गुजर रहा था। जब उसने आईशा की सहेली के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनी। घटना की जानकारी मिलते ही उसने ग्रामीणों को मौके पर बुलाया और आईशा बेगम की तलाश शुरू की। कुछ ही दूरी पर उन्हें आईशा बेगम का खून से लथपथ शव मिला। उसके सिर पर गहरे घाव थे और शरीर पर पंजों के निशान। बच्ची का शव जब गांव लाया गया तो घर में कोहराम मच गया। माता.पिता का रो.रो कर बुरा हाल है। परिवार और गांववाले अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। हर आंख नम है, हर चेहरा ग़मगीन है।
यह घटना कोई पहली नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि बीते कुछ महीनों से क्षेत्र में जंगली जानवरों की आवाजाही लगातार बढ़ रही है। खासकर यह भालू, जो अब लोगों की जान का दुश्मन बन चुका है, खेतों की फसलों को बर्बाद करने के बाद अब सीधे इंसानों पर हमला करने लगा है। गांव के बुजुर्ग गुलाम रसूल बताते हैं कि पहले जानवर जंगल में रहते थे, अब सीधे हमारे आंगन तक आ जाते हैं। क्या हम अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज सकते।
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ताजदीन, हुसैन, मजीद, रेहमतुल्ला और अन्य ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि आदमखोर भालू को तुरंत पकड़ा जाए। उनका कहना है कि अब डर के कारण महिलाएं और बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। लोग जंगलों में मवेशी चराना और लकड़ियां लाना छोड़ चुके हैं।
आयल पंचायत के प्रधान शुक्रदीन ने प्रशासन से इस घटना को गंभीरता से लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक बच्ची की मौत नहीं, पूरे समुदाय की सुरक्षा का सवाल है। “अगर अब भी इस आदमखोर भालू को नहीं पकड़ा गया, तो अगली बार किसके घर मातम पसर जाएगा, कोई नहीं जानता।
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गौरतलब है कि यह भयावह घटना 3-4 दिन पहले घटी, लेकिन अब तक ना तो वन विभाग की ओर से कोई कार्यवाही हुई है, और ना ही कोई पुलिस शिकायत दर्ज करवाई गई है। परिजनों का दुख इतना भारी है कि वे अभी तक औपचारिक कार्रवाई की स्थिति में नहीं हैं। यह घटना एक बार फिर से उस सवाल को खड़ा करती है, जो अक्सर अनसुना रह जाता है — जंगल के जानवरों और गांव के लोगों के बीच की दूरी अगर खत्म हो रही है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?