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June 18, 2025
सुक्खू सरकार ने डॉक्टर्स को दी बड़ी राहत- अब नहीं करनी पड़ेगी फील्ड पोस्टिंग, जानें जनता को क्या होगा फायदा
सुक्खू सरकार ने इस संबंध में जारी की अधिसूचना
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के डॉक्टर्स खासकर सीनियर रेजिडेंट्स के लिए एक महत्वपूर्ण और राहत भरा निर्णय लिया है। अब मेडिकल कॉलेजों में तैनात सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स या ट्यूटर वर्ग को एक वर्ष की अनिवार्य फील्ड पोस्टिंग नहीं करनी पड़ेगी। सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है और नीति में संशोधन कर दिया गया है।
यह निर्णय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में लिया गया, जिसके पीछे उद्देश्य राज्य के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों और सुपर स्पेशियलिटी संस्थानों में डॉक्टरों की भारी कमी को दूर करना है। विशेषकर आईजीएमसी शिमला और अटल सुपर स्पेशियलिटी संस्थान चमियाणा जैसे संस्थानों में लंबे समय से यह मांग उठ रही थी कि नीति में बदलाव किया जाए।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में दिसंबर 2021 में एक नीति अधिसूचित की गई थी, जिसमें यह शर्त रखी गई थी कि सीनियर रेजिडेंट बनने से पहले डॉक्टर्स को एक वर्ष की फील्ड पोस्टिंग करनी होगी। यानी उन्हें पहले जिला या उप-जिला अस्पतालों में सेवाएं देनी होती थीं, जिसके बाद ही वे किसी मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर सेवाएं दे सकते थे।
इस शर्त के कारण कई योग्य डॉक्टर्स मेडिकल कॉलेजों में जॉइन नहीं कर पा रहे थे और संस्थानों में सीनियर रेजिडेंट्स की भारी कमी हो गई थी। खासकर IGMC और अटल सुपर स्पेशियलिटी संस्थान जैसे उच्चस्तरीय संस्थानों के विभागों का कामकाज प्रभावित हो रहा था।
IGMC और अटल सुपर स्पेशियलिटी संस्थान प्रबंधन ने कई बार स्वास्थ्य विभाग व सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया था कि फील्ड पोस्टिंग की बाध्यता हटाई जाए ताकि वे तुरंत योग्य सीनियर रेजिडेंट्स की भर्ती कर सकें। इसी के मद्देनजर CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मांग को गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य विभाग के साथ विस्तृत चर्चा के बाद फील्ड पोस्टिंग की बाध्यता समाप्त करने के निर्देश दिए।
सरकार द्वारा जारी नई अधिसूचना के अनुसार अब सीनियर रेजिडेंट्स या ट्यूटर बनने के लिए फील्ड पोस्टिंग की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ेगी और स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक सुदृढ़ होंगी।
मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट्स की भूमिका बेहद अहम होती है। ये डॉक्टर इमरजेंसी ड्यूटी, OPD, OT और गंभीर मामलों में फैकल्टी के साथ मिलकर मरीजों का इलाज करते हैं। किसी भी कॉलेज की स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए इनकी संख्या पूरी होनी आवश्यक होती है। अब जब यह बाध्यता हट चुकी है, तो उम्मीद है कि सैकड़ों योग्य MD/MS डॉक्टर्स जो फील्ड पोस्टिंग की वजह से बाहर थे, अब सीधे कॉलेजों में सेवाएं दे सकेंगे।
CM सुक्खू ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यदि किसी नीति से डॉक्टरों की उपलब्धता प्रभावित होती है और संस्थानों में सेवाएं बाधित होती हैं, तो ऐसी नीतियों की समीक्षा और संशोधन जरूरी है। यह निर्णय उसी दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है।