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June 4, 2025
सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला: शिक्षकों को तबादले के लिए एक साल करना होगा इंतजार
हिमाचल में शिक्षकों के तबादलों पर 31 मार्च 2026 तक लगी रोक
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अहम और बड़ा फैसला लेते हुए स्कूल और कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों के तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी कर दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में शिक्षा व्यवस्था को स्थिर और गुणवत्तापूर्ण बनाए रखने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। अब प्रदेश में किसी भी शिक्षक का तबादला आगामी 31 मार्च, 2026 तक नहीं होगा। सरकार के इस निर्णय से करीब 10 हजार शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने आज बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी है। जिसमें स्पष्ट किया गया कि 5 जून, 2025 से शिक्षकों के तबादलों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो जाएगा। यह फैसला सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों दोनों पर लागू होगा, जबकि अन्य विभागों में ट्रांसफर की प्रक्रिया पूर्ववत जारी रहेगी।
सरकार का कहना है कि शैक्षणिक सत्र के बीच तबादलों से स्कूलों में पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। जब कोई शिक्षक ट्रांसफर होता है, तो उसकी जगह पर नया शिक्षक कई बार समय पर जॉइन नहीं करता, जिससे छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है। कई स्कूलों में तो विषय विशेषज्ञ शिक्षक न होने की वजह से छात्रों को लंबे समय तक उस विषय की पढ़ाई ही नहीं हो पाती।
यही कारण है कि सुक्खू सरकार ने लगातार दूसरे वर्ष इस प्रकार का निर्णय लिया है। पिछले साल भी शिक्षकों के ट्रांसफर पर वर्षभर के लिए रोक लगाई गई थी। इस बार प्रतिबंध की मियाद और लंबी कर दी गई है, जिससे शैक्षणिक सत्र की निरंतरता बनी रहे।
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शिक्षा विभाग के पास इस बार तबादलों के लिए लगभग 18 हजार आवेदन पहुंचे थे, जिनमें से करीब 8 हजार ट्रांसफर आदेश पहले ही जारी हो चुके थे। ये अधिकतर आवेदन मंत्रियों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों के डीओ (डेमी ऑफिशियल) नोट्स के साथ आए थे। अब बाकी बचे लगभग 10 हजार आवेदनों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे शिक्षकों को अब आगामी सत्र के अंत तक इंतजार करना होगा। तबादलों के लिए अगली प्रक्रिया 1 अप्रैल, 2026 के बाद ही शुरू होगी।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार के लगभग 2.25 लाख सरकारी कर्मचारियों में से करीब 1.25 लाख कर्मचारी शिक्षा विभाग से जुड़े हुए हैं। इनमें शिक्षक और नॉन.टीचिंग स्टाफ दोनों शामिल हैं। इस कारण यह विभाग राज्य का सबसे बड़ा और संवेदनशील विभाग माना जाता है।
राज्य सरकार की ओर से यह फैसला शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के स्तर को बेहतर बनानेए शिक्षक व्यवस्था को स्थिर रखने और छात्रों के हित में लिया गया है। सरकार का उद्देश्य है कि हर छात्र को पूरे सत्र के दौरान विषय विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध होए ताकि पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आए।