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August 1, 2025

हिमाचल के इन 3 मशहूर मेलों की कहानी: जहां संस्कृति, परंपरा और व्यापार मिलते हैं एक साथ

विरासत, व्यापार व सामाजिक मेलजोल के केंद्र

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Himachal Fairs

शिमला। हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति के लिए तो प्रसिद्ध है ही, ये अपने त्योहारों के लिए विश्वविख्यात है। इसमें हिमाचल के ऐतिहासिक मेले भी शामिल हैं। ये मेले हिमाचल की विरासत, व्यापार और सामाजिक मेलजोल का केंद्र भी होते हैं। 

1. नलवाड़ मेला

ये मेला मुख्य रूप से बिलासपुर जिले में होता है। इसका आयोजन हर साल मार्च के महीने में किया जाता है। ये मेला हिमाचल का सबसे प्रसिद्ध पशु मेला है। इसे पशुधन के व्यापार के लिए जाना जाता है, खासकर गायों और बैलों के लिए।

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स्थानीय कलाकारों को मौका

पशु व्यापार के अलावा इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें नृत्य व गायन शामिल होता है। इसके अलावा मेले के दौरान खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। इन आयोजनों से स्थानीय कलाकारों, प्लेयर्स को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए एक बड़ा मंच मिलता है।

2. मिंजर मेला

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मिंजर मेले का आयोजन हर साल श्रावण मास के दूसरे रविवार को शुरू होता है और लगभग एक सप्ताह तक चलता है। इस साल ये मेला 27 जुलाई से 3 अगस्त तक मनाया जा रहा है। मिंजर को अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक और सांस्कृतिक मेले का दर्जा प्राप्त है।

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चौगान में मिंजर का झंडा

इस मेले का इतिहास 935 ईस्वी से संबंध रखता है। इसे त्रिगर्त (कांगड़ा) के शासक पर चंबा के राजा की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कहा जाता है कि विजयी राजा के लौटने पर लोगों ने धान और मक्का की मालाओं से उनका अभिवादन किया जो समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।  मेले की शुरुआत भगवान रघुवीर और लक्ष्मीनारायण को मिंजर भेंट करने से होती है। भगवान रघुवीर की रथ यात्रा निकाली जाती है और ऐतिहासिक चौगान में मिंजर का झंडा फहराया जाता है।

3. लवी मेला

लवी मेला शिमला जिले के रामपुर बुशहर में होता है। ये हर साल नवंबर के महीने में आयोजित किया जाता है। इस मेले को अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक मेले का दर्जा प्राप्त है। बताया जाता है कि इस मेले का इतिहास 300 साल से भी ज्यादा पुराना है।

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व्यापार और संस्कृति का मिश्रण

व्यापार के साथ-साथ मेले में पारंपरिक नाटी, लोकगीत और विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक समूह भी प्रदर्शन करते हैं। इससे ये संस्कृति और व्यापार का एक अनूठा संगम बन जाता है। ये मेला हिमाचल की आर्थिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो इसकी प्राचीन व्यापारिक परंपराओं को दर्शाता है।

 

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