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January 13, 2025

हिमाचल के बागवानों को पेमेंट का इंतजार, तीन महीने बाद भी सरकार ने नहीं किया भुगतान

हिमाचल के बागवानों की सेब की पेमेंट सरकार द्वारा नहीं की गई है।

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी उपक्रम हिमफेड और HPMC के माध्यम से राज्य सरकार ने पिछले साल बागवानों से लगभग 40 करोड़ रुपये का सेब खरीदा था। मगर आज दिन तक बागवानों को उनका भुगतान नहीं किया गया है। इस वजह से बागवान परेशान हैं और बार-बार HPMC और HIMFED दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

APMC एक्ट में 24 घंटे में पेमेंट देने का प्रावधान

APMC एक्ट के तहत, सरकार को सेब और अन्य कृषि उपज के भुगतान का हिसाब 24 घंटे के भीतर करना होता है। मगर यहां हालात ये है कि पिछले तीन महीने से HIMFED और HPMC ने बागवानों को भुगतान नहीं किया है। इस देर से बागवानों में असंतोष बढ़ रहा है, और वे बार-बार भुगतान के लिए दफ्तरों का रुख कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा।

 

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MIS के तहत सेब खरीदती है सरकार

हर साल सरकार मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत बागवानों से निम्न गुणवत्ता का सेब खरीदती है, जिसे सरकारी उपक्रम HPMC (हिमाचल प्रदेश मर्केंटाइल कॉर्पोरेशन) एप्पल जूस कंसंट्रेट तैयार करने के लिए इस्तेमाल करता है। इस योजना के तहत खरीदे गए सेब का भुगतान सरकार करती है, लेकिन इस बार बागवानों को भुगतान में देरी हो रही है। 

इस साल 40 करोड़ का सेब खरीदी गई

HPMC ने इस वर्ष 29 करोड़ रुपये में 25,000 मीट्रिक टन सेब खरीदे, जबकि हिमफेड ने 12 करोड़ रुपये में लगभग 10,000 मीट्रिक टन सेब खरीदा है। हालांकि, इन दोनों उपक्रमों ने सेब खरीदने के बाद सरकार को अपने बिल जमा कर दिए हैं। 

 

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2022 की तुलना में कम फसल

बता दें कि 2023 में सेब की फसल 2022 की तुलना में आधी रह गई। HPMC ने 2023 में 33,000 मीट्रिक टन सेब खरीदी थी, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 42,000 मीट्रिक टन था। इस वर्ष कम फसल और क्वालिटी के कारण खरीदारी में भी कमी आई है।

 

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केंद्र सरकार ने बंद किया MIS का बजट

पिछले साल केंद्र सरकार ने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) का बजट पूरी तरह से बंद कर दिया, जबकि पहले इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार 50 प्रतिशत बजट देती थी। अब राज्य सरकार को शत-प्रतिशत भुगतान का खर्च अपने कोष से उठाना पड़ रहा है, जिससे राज्य सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है। 

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