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January 13, 2025

CM सुक्खू की बढ़ेंगी मुश्किलें, साल 2025 में आधी रह गई RDG, कैसे पार पाएगी सरकार

वेतन और पेंशन के लिए ही हर महीने चाहिए दो हजार करोड़

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Economic condition of Himachal

शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार का खजाना खाली हो चुका है। केंद्र सरकार से जो मदद मिलती है, उसमें भी कटौती हो रही है। ऐसे में आर्थिक तंगी से गुजर रही हिमाचल सरकार के लिए नया साल 2025 काफी चुनौतियों से भरा रहने वाला है। कांग्रेस सरकार के सामने एक तरफ अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन देने के लिए बजट का जुगाड़ करना मुश्किल होगा, वहीं प्रदेश के विकास को आगे ले जाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

प्रति व्यक्ति पर है 1.17 लाख का कर्ज

बता दें कि हिमाचल में वैसे तो प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा काफी अच्छा है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय दो लाख से भी अधिक है। लेकिन अगर कर्ज की बात करें तो प्रति व्यक्ति पर कर्ज का आंकड़ा भी एक लाख के पार हो चुका है। साल 2017-18 में हिमाचल के हर व्यक्ति पर 66 हजार 232 रुपए का कर्ज था, जो अब यह बढ़कर 1.17 लाख रुपए हो गया है। कर्ज का यह पहाड़ कांग्रेस सरकार के कर्ज के पहाड़ के साथ बढ़ता जा रहा है।

आधी रह जाएगी आरडीजी

दरअसल हिमाचल को केंद्र से हर साल रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट (आरडीजी) जारी होती है। केंद्र सरकार द्वारा यह ग्रांट किसी भी राज्य के राजस्व और खर्च के बीच अंतर से जो घाटा पैदा होता है, उसकी भरपाई के लिए जारी करती है। लेकिन हिमाचल की आरडीजी ग्रांट हर साल कम हो रही है। साल 2024-25 में यह ग्रांट जहां 6258 करोड़ रुपए थी, वहीं इस साल यानी 20025-26 में यह ग्रांट आधी हो जाएगी। यानी इस साल सुक्खू सरकार को आरडीजी के तहत 3257 करोड़ रुपए ही मिलेंगे।

 

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2021-22 में मिले थे 10 हजार करोड़ से अधिक

बता दंे कि हिमाचल को साल 2021-22 में 10 हजार 249 करोड़ रुपए की आरडीजी मिली थी। यानी हर महीने 854 करोड़ रुपएकी ग्रांट मिल रही थी। उस समय सरकारी कर्मियों के वेतन पर 900 करोड़ रुपए प्रतिमाह खर्च हो रहे थे। यानी आरडीजी से ही कर्मचारियों का वेतन निकल जाता था। साल 2022-23 में ये ग्रांट टेपर फार्मूले के तहत घटकर 9 हजार 377 करोड़ रुपए रह गई। यानी हर महीने 780 करोड़ रुपए से कुछ अधिक हर महीने आरडीजी मिल रही थी। फिर 2023-24 में ये घटकर 8058 करोड़ रुपए रह गई। पिछले वित्तीय वर्ष में ये 6258 करोड़ रुपए थी और इस वित्त वर्ष में महज 3257 करोड़ रुपए की आरडीजी रह जाएगी।

 

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विकास कार्यों पर पड़ रहा प्रभाव

लगातार कम होती आरडीजी ग्रांट से जहां हिमाचल प्रदेश के विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ेगा। वहीं केंद्र से कम पैसे मिलने से आने वाले समय में सुक्खू सरकार पर अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन देने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। 

सीएम सुक्खू वित्तायोग के समक्ष सांझा कर चुके हैं प्रदेश की आर्थिक स्थिति

हालांकि जून 2024 में हिमाचल आई वितायोग की टीम के समक्ष हिमाचल की स्थिति को रखा था। सुक्खू सरकार ने वित्तयोग को बताया था कि कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। प्रदेश के बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है। जिसके चलते विकास के लिए पैसा नहीं बच रहा है। ऐसे में नए वित्तायोग से हिमाचल को अच्छी आरडीजी की उम्मीद है। सुक्खू सरकार को सोलहवें वित्तायोग को अपनी सिफारिशें 31 अक्टूबर 2025 तक देनी हैं। फिर राज्यों के लिए ये सिफारिशें अप्रैल 2026 से लागू होंगी।

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जयराम सरकार ने बढ़ाया कर्ज का पहाड़

बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर इस समय 92 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका है। इसके अलावा कर्मचारियों और पेंशनरों की देनदारियां अलग से हैं। सीएम सुक्खू प्रदेश की कमजोर हो चुकी आर्थिक स्थिति का जिम्मेदार पूर्व की जयराम सरकार को मानते हैं। उनका कहना है कि जब जयराम सरकार के समय केंद्र से अच्छी आरडीजी मिल रही थी, तो उन्हांेने ना तो प्रदेश की आर्थिकी बढ़ाने के लिए कुछ किया और ना ही कर्मचारियों के नए वेतन आयोग का एरियर और डीए का भुगतान किया। 

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