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April 16, 2024

CM बोले: 'हिमाचल बनेगा सबसे अमीर राज्य' मगर कैसे? जानिये खजाने का हाल

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शिमला। राजधानी शिमला के रिज पर हिमाचल दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए सीएम सुक्खू ने कहा था कि 2027 तक हम हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाएंगे। आने वाले समय में हिमाचल सबसे अमीर राज्य बनेगा। मगर सवाल यह उठता है कि लगातार कर्ज लेकर प्रदेश के विकास को आगे बढ़ा रही सुक्खू सरकार हिमाचल को आत्मनिर्भर कैसे बनाएगी। खाली खजाने से हिमाचल कैसे सबसे अमीर राज्य बनेगा।

करोड़ों का कर्ज लेकर कैसे बनेगा हिमाचल अमीर राज्य

हिमाचल पर हर माह करोड़ों का कर्ज चढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ राजस्व घाटा अनुदान राशि भी कम हो रही है। जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है। ऐसे में सुक्खू सरकार के पास अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन देने तक के पैसे नहीं हैं। फिर भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बोल रहे हैं कि वह हिमाचल को सबसे अमीर राज्य बनाएंगे। सीएम सुक्खू के हिमाचल को सबसे अमीर राज्य बनाने की बात किसी मुंगेरी लाल के हसीन सपने की तरह लग रही है।

प्रदेश पर 81 हजार करोड़ का कर्ज

बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर इस समय 81 हजार करोड़ का कर्ज है। प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर करीब एक लाख 30 हजार का कर्ज है। कर्ज का यह बोझ यहीं पर नहीं रूक रहा है। सरकार ने नए शुरू हुए वित्त वर्ष पहली अप्रैल 2024 के पहले ही सप्ता में 1 हजार करोड़ का कर्ज लिया है। वहीं कर्मचारियों और पेंशनरों को डीए और एरियर की किस्त देने के लिए भी केंद्र सरकार से एडवांस में कर्ज देने की अपील की गई है।

कम हो रही राजस्व घाटा अनुदान राशि

वहीं दूसरी तरफ 15वें वित्तायोग की अवधी भी 2026 में समाप्त होने वाली है। तब तक राजस्व घाटा अनुदान की धनराशि सिकुड़कर तीन हजार करोड़ रह जाएगी।

यह भी पढ़ें : हिमाचल पर आर्थिक संकट: अनुदान हुआ कम, कर्ज भी नहीं दे पाया सहारा

प्रदेश के राजस्व की बात करें तो इसी माह से शुरू हुए वित्त वर्ष के पहले माह में हिमाचल के खजाने में मात्र 521 करोड़ की धनराशि आई है, जबकि बीते वर्ष वित्त विभाग को 671 करोड़ की राशि मिली थी। इस तरह से लगातार कम हो रही राशि से प्रदेश कैसे अमीर राज्य बनेगा, यह तो सीएम सुक्खू की बता सकते हैं।

प्रदेश की आय के स्त्रोतों पर संकट

बता दें कि हिमाचल की आर्थिकी का मुख्य स्त्रोत पर्यटन, बिजली, सेब कारोबार है। लेकिन हिमाचल में कभी जल प्रलय तो कभी मौसम की मार प्रदेश की आर्थिकी बढ़ाने वाले इन दोनों ही स्त्रोतों की कमर तोड़ रही है। प्रदेश में कम होती बारिशों से बिजली उत्पादन पर भी फर्क पड़ रहा है। ऐसे में हिमाचल की आय के स्त्रोत कम हो रहे हैं। जो कि चिंता का विषय है।

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