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July 4, 2025
हिमाचल में भयंकर तबाही के बीच सेना ने संभाला मोर्चा, प्रदेश से पूरी तरह कटे गांवों के लिए बने फरिश्ता
मलबे और जलजले के बीच राहत कार्य तेज
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सराज घाटी में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा के बाद हालात सामान्य करने के प्रयास जारी हैं। बाढ़ और भूस्खलन से तबाह हुए इस क्षेत्र में पहले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने राहत कार्य शुरू किया था, अब सेना भी सक्रिय हो गई है। पांच दिनों से दुनिया से कटे हुए थुनाग और आसपास के क्षेत्रों में सेना की टीमों ने पहुंचकर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला। डेजी गांव से 65 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, थुनाग से जंजैहली तक का सड़क संपर्क अभी भी ठप है, लेकिन प्रशासन और बचाव एजेंसियां युद्ध स्तर पर मलबा हटाने का कार्य कर रही हैं।
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गोहर उपमंडल के पंगलियूर गांव में लापता लोगों की खोज में पुलिस और आपदा स्वयंसेवकों की टीमें ड्रोन की मदद ले रही हैं। हालांकि, शुक्रवार को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। यह अभियान शनिवार को भी जारी रहेगा।
आज थुनाग में राहत सामग्री पहुंचाई गई, मगर इसके लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर उसे लाना पड़ा। पांच दिन बीतने के बाद भी बिजली और संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है। कुछ सरकारी इमारतों में ही बिजली आपूर्ति बहाल हो पाई है।
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प्रशासन बगस्याड़ और करसोग से सड़कों को जोड़ने में जुटा है, ताकि राहत अभियान तेज किया जा सके। इस आपदा में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 55 लोग अब भी लापता हैं। जंजैहली के बूंगरैलचौक में 13 मकान पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
थुनाग बाजार में यह तीसरी बड़ी आपदा है, जहां मलबा और कीचड़ ने पूरे क्षेत्र को डेंजर जोन बना दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्यों के दौरान अवैध मलबा डंपिंग ने आपदा को और भी विकराल बना दिया। बैंक, स्कूल और अस्पताल तक कीचड़ में डूबे हुए हैं, जिससे जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया है।