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May 26, 2025
हिमाचल : कभी पहनने को नहीं थे जूते- अब देश के लिए दौड़ेगी वही बेटी- एशियन गेम्स में हुई सिलेक्शन
मां के बलिदान और बेटी की लगन का जीता-जागता उदाहरण
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चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से संबंध रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय एथलीट सीमा एक बार फिर भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन करने जा रही हैं। सीमा का चयन दक्षिण कोरिया के गुमी शहर में 27 से 31 मई तक आयोजित होने वाली 26वीं एशियान गेम्स प्रतियोगिता के लिए हुआ है।
सीमा वहां 10,000 मीटर दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। सीमा ने अभी तक एक अंतर्राष्ट्रीय और करीब 20 राष्ट्रीय पदक अपने नाम किए हैं, जिनमें से कई पदक उन्होंने कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद हासिल किए हैं।
सीमा की सफलता की यात्रा आसान नहीं रही है। वर्ष 2017 में बैंकॉक में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए उनकी मां ने अपनी FD तुड़वाकर बेटी को विदेश भेजा था। यह एक मां के बलिदान और बेटी की लगन का जीता-जागता उदाहरण है।
आज सीमा अपने दमखम और परिश्रम से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। सीमा ने बताया कि उन्होंने एशियान गेम्स के लिए लगातार मेहनत की है और उनका सपना है कि इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पदक जीतें। उनका मानना है कि देश की उम्मीदों पर खरा उतरना ही उनके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है।
चंबा के ग्रामीण अंचल से उठी यह बेटी आज भारत की उम्मीद बन चुकी है और पूरा जिला उसकी जीत के लिए प्रार्थना कर रहा है। यदि सीमा इस बार एशियान गेम्स में पदक जीतती हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे हिमाचल के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
बता दें कि सीमा जिला चंबा के झुलाड़ा पंचायत के रेटा गांव से सबंध रखती है। इससे पहले भी सीमा ने राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल का मान बढ़ाया था। सीमा चंबा के बेहद ही गरीब परिवार से आती बेटी है। जिसने अपनी मेहनत के दम पर ये मुकाम हासिल किया है।
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उड़नपरी सीमा ने पिछली प्रतियोगिता में सीमा ने दमदार प्रदर्शन किया था। उनका सपना है कि वे देश का प्रतिनिधित्व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में करें। सीमा ने 62वीं राष्ट्रीय ओपन एथलैटिक्स चैंपियनशिप-2023 में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। फिर 10 हजार की दौड़ में सीमा ने पदक जीता और पांच हजार मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीता था।
सीमा की मेहनत और लगन युवा एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि कठिनाईयों के बावजूद लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। यह उपलब्धि न केवल सीमा के लिए, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। उनके इस प्रदर्शन से यह उम्मीद बंधी है कि वे भविष्य में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करेंगी।