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November 1, 2025

हरियाणा में ट्रेनिंग को मजबूर हिमाचली खिलाड़ी आकांक्षा, अपने ही प्रदेश से नहीं मिल रहा सहयोग

आर्थिक तंगी के कारण धुंधला दिख रहा भविष्य

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Himachal News

शिमला। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की प्रोफेशनल ताईक्वांडो एथलीट आकांक्षा कुमारी हिमाचल सरकार से मदद की गुहार लगा रहीं हैं। आकांक्षा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं लेकिन फिर भी वे सरकारी मदद के लिए संघर्ष कर रहीं हैं। आकांक्षा कहती है कि हिमाचल खेलों के मामले में हरियाणा व पंजाब से बहुत पीछे है। यहां सिर्फ खेलों को बढ़ावा देने के दावे होते हैं लेकिन असल हकीकत कुछ और है।

बेहतर सुविधाओं का है अभाव

आकांक्षा कुमारी हमीरपुर जिले के बमसन क्षेत्र के दुर्गम गांव जंदडू की रहने वाली हैं। सरकारी सहयोग व बेहतर सुविधाओं के अभाव में वे अपने सपनों को उड़ान नहीं दे पा रहीं हैं। वहीं आकांशा कितनी कमाल की खिलाड़ी हैं, ये उनकी उपलब्धियों की लिस्ट से साफ समझ आता है।

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आकांक्षा कुमारी की उपलब्धियां

  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण कोरिया में विश्व ताईक्वांडो विश्व कप टीम चैंपियनशिप 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व किया 
  • 2023 में तमिलनाडु में आयोजित 'चैंपियन ऑफ चैंपियंस इंडिया ताईक्वांडो चैंपियनशिप' में स्वर्ण पदक 
  • 2024 में महाराष्ट्र में हुई 'फाइनल चैंपियन ऑफ चैंपियंस' में रजत पदक अपने नाम किया
  • तीसरे सीनियर नैशनल (2025) और आईटी नैशनल 2022 सीनियर ताईक्वांडो चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी जीते हैं
  • खेलो इंडिया महिला ताईक्वांडो लीग और ऑल इंडिया इंटरवर्सिटी ताईक्वांडो चैंपियनशिप में भाग लेकर प्रतिभा का लोहा मनवाया है

धुंधला नजर आ रहा है भविष्य

इतनी उपलब्धियां लेकिन क्या फायदा। आकांक्षा को ना कोई आर्थिक मदद मिल रही है ना ही कोई और सहयोग। ऐसे में उनका भविष्य धुंधला नजर आ रहा है। आकांक्षा एशियाई खेल-2026 व लॉस एंजिल्स ओलिंपिक-2028 में देश के लिए पदक जीतना चाहती हैं लेकिन उन्हें जिस उच्च स्तरीय ट्रेनिंग और संसाधनों की जरूरत है, वो उन्हें नहीं मिल पा रही है। 

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अभी हरियाणा में ले रहीं ट्रेनिंग

आकांक्षा कहती हैं कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखानी है लेकिन इसके लिए उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसे में वे बड़े खेल आयोजनों में नहीं जा पा रहीं हैं। गौरतलब है कि उन्हें बेहतर ट्रेनिंग के लिए भी हरियाणा में रहना पड़ रहा है।

कुछ साल पहले मिली थी मदद

आकांक्षा को कुछ साल पहले एक पूर्व केंद्रीय मंत्री से 2 लाख व शिमला की एक संस्था से 1 लाख की मदद मिली था जिससे वे राष्ट्रीय स्तर पर कुछ आगे बढ़ सकीं लेकिन ये मदद उनके लिए काफी नहीं है।

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मेडल ला पाने का है पूरा विश्वास

आकांक्षा विश्वास के साथ कहती है उन्हें ओलिंपिक्स में खेलना है और वो देश के मेडल भी जीत सकती हैं लेकिन बात घूम-फिर के वहीं आ जाती है उन्हें जितनी अच्छी ट्रेनिंग चाहिए, उतनी मिल नहीं पा रही है।

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