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January 29, 2025

हिमाचल की वो देवी मां- जिनकी शक्ति है मंत्रों से पार, जिसे आज तक नहीं कर पाया कोई सिद्ध

भूटान से आईं थी हिमाचल और उनका नाम पड़ा छोटी मां  

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UgraTara Devi

कुल्लू। देवभूमि हिमाचल में असंख्य देवी-देवताओं का वास है। यहां के हर गांव और क्षेत्र में कोई ना कोई देवता या देवी विद्यमान हैं- जिन्हें स्थानीय लोग अपना संरक्षक मानते हैं। हिमाचल के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं में देवी-देवताओं को सर्वोच्च स्थान देते हैं।

हिमाचल की छोटी मां

हिमाचल में देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था और भक्ति इसे देवभूमि के रूप में अद्वितीय पहचान देती है। आज के अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे हिमाचल की एक ऐसी देवी मां के बारे में जो भूटान से आईं हिमाचल थीं और उनका नाम छोटी मां पड़ गया।

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मत्रों से पार है माता की शक्ति

इन माता रानी की शक्ति मंत्रों से भी पार है- जिन्हें आज तक कोई भी सिद्ध नहीं कर पाया है। हम बात कर रहे हैं नग्गर घाटी की आराध्य भट्टनती देवी मां उग्रतारा की- जो जमलू ऋषि के स्थान पर विराजमान हो जाती हैं।

 

कोई नहीं सिद्ध कर पाया

माता के कारदार बताते हैं कि भूटानी, भट्टनती, पटानी और भोटली नाम से विख्यात माता उग्रतारा भूटान से हिमाचल आई हैं। जब भी देव खेल के दौरान माता भट्टनती बात करती हैं- तो भोटली भाषा या कनाशी भाषा में उनकी देव वाणी होती है। 10 महाविद्याओं में से एक मानी जाने वाली माता उग्रतारा की शक्ति इतनी अधिक है कि आज तक कोई सिद्ध नहीं कर पाया है।

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रोजाना नहीं की जाती पूजा

इतना ही नहीं माता उग्रतारा की रोजाना पूजा भी नहीं की जाती है। माता रानी ने ऐसा करने से स्वयं ही इनकार कर रखा है। मां की पूजा सिर्फ विशेष आयोजनों और उनका रथ बाहर निकलने पर ही की जाती है।

देवता जमलू की बहन

हमारे सनातन धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म में भी माता उग्रतारा की पूजा कई रूपों में की जाती है। वहीं, छोटी मां उग्रतारा को देवता साहिब जमलू की बहन कहा जाता है, इसी कारण से माता इकलौती ऐसी देवी हैं- जो देवता जमलू की थड़ी यानी उनके बैठने के स्थान पर विराजित हो सकती हैं। इसी कारण से दुनिया से अलग चलने वाले मलाणा गांव के लोग माता उग्रतारा के नग्गर में अपनी रिश्तेदारी जरूर निभाते हैं। माता उग्रतारा पिंडी रूप में कुल्लू के नग्गर में विराजमान है- जहां उनके दिव्य दर्शन आज भी किए जा सकते हैं।

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