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January 28, 2025

हिमाचल के वो देवता महाराज- जिनका भगवान राम की बड़ी बहन से हुआ था विवाह

हिरणी के गर्भ से हुआ था देवता साहिब का जन्म

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Devta Maharaj Shringa Rishi

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश अपनी मनमोहक पहाड़ियों और नैतिकता की परंपराओं के साथ देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है। यहां के लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं को गहरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मानते हैं। देवता ना केवल पूजा के पात्र होते हैं, बल्कि इन्हें गांवों और समुदायों के संरक्षक के रूप में देखा जाता है।

 

हिमाचल के हर गांव में एक देवता की विशेष पूजा होती है- जो वहां के लोगों की जीवनशैली और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होते हैं। यहां की लोककथाओं, मेलों और उत्सवों में देवताओं का विशेष स्थान है- जो हिमाचल की धार्मिक विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं।

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हिरणी के गर्भ से हुआ जन्म

आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता महाराज के बारे में बताएंगे- जिनका भगवान राम की बड़ी बहन से विवाह हुआ था। इन देवता साहिब का जन्म हिरणी के गर्भ से हुआ था।

7 ऋषियों में सबसे बड़े देव

इन देवता साहिब का नाम सात ऋषियों में भी सबसे बड़ा है। यह देवता महाराज आज भी कल्युगाधिपति कहलाते हैं। हम बात करे हैं बड़ा देउ- राज ऋषि स्कीर्णि जी महाराज की- जिन्हें हम श्रृंगा ऋषि भी कहते हैं।

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जब चाहे करवा देते थे बारिश

पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रृंगा ऋषि के तप में इतनी शक्ति थी कि जब चाहे तब इंद्र देव को प्रसन्न करके वर्षा कराने की क्षमता थी।

 

भगवान राम की बहन से हुआ था विवाह

कथा के अनुसार, त्रेता युग में जब महाराज दशरथ की संतान नहीं हो रही थी- तो वशिष्ट मुनि के कहने पर श्रृंगा ऋषि हिमाचल से अयोध्या गए और वहां पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इसी यज्ञ से प्रगट हुई खीर को खाने के बाद राम-लक्ष्मण, भारत, शत्रुघ्न के रूप में राजा दशरथ को चार बेटे हुए। इसके बाद राजा दशरथ की ही पुत्री देवी शांता से ऋषि श्रृंगा का विवाह भी हुआ।

 

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900 बीघा से अधिक है जमीन

आज भी कुल्लू के बंजार घाटी में मौजूद अपने मंदिर में श्रृंगा ऋषि- देवी शांता के साथ ही विराजते हैं। बंजार घाटी के शासक कहे जाने वाले राज ऋषि स्कीर्णि जी महाराज का नाम रेवेन्यू रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इनके पास सैंज से लेकर सोजा तक 900 बीघा से अधिक जमीन है।

10 हजार साल तक किया था तप

बंजार में इन देवता साहिब से जुड़ा एक तीन दिवसीय मेला आज भी आयोजित किया जाता है- जिसमें कई सारे देवी-देवता शामिल होते हैं। लोग बताते हैं- कुल्लू बंजार से करीब 8 किलोमीटर दूर सकीर्ण टीले पर श्रृंगा ऋषि ने 10 हजार साल तक ताप किया था- जहां देवदार के घने जंगलों के बीच उनका शक्तिशाली मंदिर आज भी मौजूद है।

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