#धर्म
January 10, 2025
हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनकी गोद में विराजमान हैं भगवान विष्णु
देवता अनंत बालुनाग की पूरी कथा
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल प्रदेश, देवी-देवताओं की भूमि है, जहां हर घाटी और हर पहाड़ में एक दिव्य शक्ति का आभास होता है। यहां की नदियां, झरने और वादियां जैसे जीवन की ऊर्जा से भरी हुई हैं। इस धरती पर हर स्थान पर एक विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। देवता यहां की पहाड़ियों, गांवों और खेतों में बसी हैं और लोगों की आस्था की नींव बने हैं। यह भूमि हमें सिखाती है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीवन जीना चाहिए। हिमाचल की यह पवित्र भूमि हमें प्रेम, समर्पण और साधना की प्रेरणा देती है।
आज हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगें- जिनकी गोद में स्वयं भगवान विष्णु विराजमान हैं। इतना ही नहीं इन देवता साहिब ने अपने सिर पर सम्पूर्ण पृथ्वी धारण कर रखी है। हम बात कर रहे हैं स्वंय शेषनाग, देवता साहिब अनंत बालुनाग की। सात पाताल में मौजूद इन देवता साहिब का आसान देवताओं का विलाप सुन डोल उठा था। इन्होंने सिर्फ ढाई पलों में माता सती के देश का उद्धार कर दिया था।
यह भी पढ़ें: हिमाचल में खत्म होगी बंदरों की परेशानी, सुक्खू सरकार करने जा रही नई पहल; जानें
कुल्लू के फतेहपुर से मंडी के नारायण गढ़ तक एकछत्र राज करने वाले देवता साहिब अनंत बालुनाग का मूल स्थान बंजार घाटी के बालो जंगल में है।
मगर पौराणिक कथा के अनुसार देवता साहिब गहरे समंदर के भीतर मौजूद बालू के विशाल टापू से सती के देश हिमालय तक पहुंचे थे।
देव-भारथा के अनुसार सृष्टि के आरंभ में सती के देश में पौणी दौइंत यानि एक राक्षस ने हाहाकार मचा रखा था और वो देवी-देवताओं को भी नहीं बख्शता था। ऐसे में एक दिन देवताओं का करुण क्रंदन सुनकर सात पातालों में मौजूद देवता अनंत बालुनाग का सिंहासन डोल उठा और देवता साहिब माता सती के देश जा पहुंचे।
यह भी पढ़ें: विधानसभा सत्र के तीसरे दिन की हंगामेदार शुरूआत- परिसर में धरने पर बैठे BJP विधायक
जहां उन्होंने महज़ ढाई पलों में पौणी दौइंत का वध किया और फिर अलग अलग स्थानों से होते हुए तांदी गांव पहुंचे। यहां एक मेहता परिवार से प्रसन्न होकर उन्होंने कहा--
खार समुंद्र बालू जन्द्र
पानी रो डौल मेरो घौर
मेरो घर गाड़ा पार गाड़ा उआर
भोसले विष्णु सिरे संसार
यह सुनकर मेहता परिवार को एहसास हुआ कि वो देव कोई और नहीं बल्कि स्वयं शेषनाग हैं, फिर देवता साहिब ने अपने हार द्वार की हाक थमाक मेहता को सौंपी और सदा के लिए बालो जंगल में ही विराजित हो गए।