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May 31, 2025

धर्म शिला से बना धर्मशाला! यहीं दुर्वासा ऋषि ने पत्थर पर बैठ कर की थी कठोर तपस्या

शरीर के दाहिने भाग को शीतल करने के लिए इस स्थल को चुना

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Devbhoomi Himachal

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला शहर आज जहां एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। वहीं, इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक जड़ें कहीं अधिक गहरी और पौराणिक हैं।

महर्षि दुर्वासा की कठोर तपस्या

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस क्षेत्र में कभी महर्षि दुर्वासा ने कठोर तपस्या की थी। यही तपोभूमि कालांतर में 'धर्मशाला' बनी, लेकिन इसका मूल नाम 'धर्म शिला' था, जिसका अर्थ है 'धार्मिकता की चट्टान' या 'पुण्य की शिला'।

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पत्थर की बनाई शिला

प्रसिद्ध लेखक योगी महाजन ने अपनी पुस्तक 'The Tenth Incarnation' (खंड-1, अध्याय-14, पृष्ठ 89) में उल्लेख किया है कि धर्मशाला क्षेत्र को प्राचीनकाल में ‘धर्म शिला’ के नाम से जाना जाता था। ऋषि दुर्वासा, जो अपने तप, तेज और क्रोध के लिए विख्यात थे, महाराष्ट्र से यात्रा करते हुए इस स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने यहां एक पत्थर की शिला पर बैठकर कठोर साधना की और विशेष रूप से शरीर के दाहिने भाग को शीतल करने के लिए इस स्थल को चुना।

कैसे पड़ा नाम धर्मशाला?

ऋषि की तपस्या से यह स्थान इतना पवित्र और ऊर्जावान हो गया कि इसे 'धर्म शिला' कहा जाने लगा। यह केवल एक नाम नहीं था, बल्कि इस स्थल की आध्यात्मिक महत्ता का प्रतीक बन गया। यह शिला धर्म, तप और साधना की जीवंत अनुभूति कराती थी, जहां ऋषि दुर्वासा की उपस्थिति ने संपूर्ण क्षेत्र को धार्मिक आभा से भर दिया।

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नाम के पीछे की गाथा

ब्रिटिश शासन काल में जब अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया, तो उन्होंने स्थानीय उच्चारण के अनुसार ‘धर्म शिला’ को ‘धर्मशाला’ कहना शुरू कर दिया, जो कालांतर में स्थायी नाम बन गया। हालांकि, इस नाम के पीछे की गाथा आज भी लोगों के स्मरण में जीवित है।

धौलाधार पर्वतमाला की गोद में बसा शहर

धौलाधार पर्वतमाला की गोद में बसा यह नगर आज भले ही आधुनिक सुविधाओं और तिब्बती संस्कृति का संगम बन गया हो, मगर यह स्थान उस आध्यात्मिक विरासत का भी वाहक है, जो ऋषि दुर्वासा के तप से जुड़ी हुई है। उनके जीवन से जुड़ी अनेक कथाएं आज भी धर्मशाला की पहाड़ियों में गूंजती हैं।

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अतः यह नितांत आवश्यक है कि हम धर्मशाला को केवल पर्यटन या राजनीतिक दृष्टि से न देखें, बल्कि उसकी उस मूल पहचान—धार्मिकता, साधना और तप की भूमि—को भी सम्मान दें। धर्मशाला न केवल एक नगर है, बल्कि वह प्रतीक है उस भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का, जो युगों से हिमालय की गोद में फलती-फूलती रही है।

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