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December 4, 2025

हिमाचल में भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर- जहां सुबह नहीं सिर्फ शाम में होती है विधिवत पूजा

इस मंदिर का इतिहास सीधे पांडवों से है

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Shiv Temple Mangarh Sirmaur

सिरमौर देवभूमि हिमाचल के मंदिरों और शक्तिपीठों से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। हिमाचल में कई मंदिर ऐसे हैं जो हजारों साल पुराने हैं। आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल के एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताएंगे।

भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर

इस मंदिर में भोलेनाथ को सुबह जल अर्पित किया जाता है और सायंकाल जोत जलती है। ये परंपरा सैकड़ों साल से आज भी बिल्कुल वैसी ही निभाई जा रही है। यही नहीं इस मंदिर का दरवाजऔर मूर्तिया ऐसे पत्थर से बनी हैं- जो पूरे इलाके में कहीं मिलता ही नहीं

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भीम उठा कर लाए थे पत्थर

कहते हैं भीम खुद ये पत्थर उठा कर लाए थे। हम बात कर रहे हैं सिरमौर जिला के मानगढ़ में स्थित महाकाल शिव मंदिर की- जो 1500 साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है और जिसका इतिहास सीधे पांडवों से जुड़ता है।

पत्थरों पर अद्भुत आकृतियां

स्थानीय लोग इस जगह को ठाकुरद्वारा कहते हैं - इस मंदिर के पीछे पत्थरों पर गाय को मारते बाघ और बाघ को मारते अर्जुन की आकृतियां भी खुदी मिलती हैं। मंदिर की दीवारों पर बने नक्षत्र दर्शन में सिर्फ पाच ग्रह दिखाए गए हैं- जो इसके बेहद प्राचीन होने का सबसे बड़ा प्रमाण हैं

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कुछ ऐसा है मंदिर का मुख्य द्वार

मंदिर का मुख्य द्वा एक ही विशाल शिला को काटकर बनाया गया है और मंदिर की सारी मूर्तिया भी एक ही तरह के पत्थर से तराशी गई हैं, जो इस क्षेत्र में मिलता ही नहींमंदिर की दीवारों पर बने नक्षत्र दर्शन में सिर्फ पाच ग्रह दिखाए गए हैं- जो इसके बेहद प्राचीन होने का सबसे बड़ा प्रमाण हैं।

1500 साल पुराना है मंदिर

इस स्थल का महत्व इतना बड़ा है कि 1995 में इसे पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन ले लिया और फिर 200304 में जब खुदाई हुई तो मंदिर परिसर से गुप्तकाल शैली का एक प्राचीन गणेश मंदिर मिला। जिसका इतिहास 5वीं6वीं शताब्दी तक जाता है

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सावन में निभाई जाती है विशेष पंरपरा

सावन में इस मंदिर में एक विशेष परंपरा निभाई जाती है- सुबह जलाभिषेक और शाम को जोत। कहते हैं कि यह परंपरा कई सौ सालों से वैसे ही निभाई जा रही है- जैसे कि पहले। इतना प्राचीन इतिहास, ऐसी दिव्य नक्काशी, ऐसा दुर्लभ पत्थर और पांडवों की ऐसी धरोहर आपको किसी और मंदिर में देखने को नहीं मिल सकती।

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