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December 18, 2025

हिमाचल के इस मंदिर में है पांडवों के समय का बेलन- यहां मुराद पूरी होने पर चढ़ाते हैं बच्चों के बाल

पांडवों ने किया था देवी के मंदिर का निर्माण

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Himachal Devi Devta

ऊना/हमीरपुर। हिमाचल देवी-देवताओं के मंदिर से गुलजार है। ऐसा कोई इलाका नहीं जहां मंदिर ना हो। हर मंदिर की कुछ मान्यताएं होती है। मन्नत पूरी होने पर अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग चीजें चढ़ाई जाती हैं। इसी कड़ी में हिमाचल में एक ऐसा मंदिर है जहां बच्चों के बाल चढ़ाए जाते हैं।

मंदिर में चढ़ाते हैं फसल का कुछ हिस्सा

हमीरपुर और ऊना जिलों की सीमा पर मां ज्योली देवी का मंदिर स्थित है। हर साल इस मंदिर में हजारों लोग शीश नवाने आते हैं। यहां पर लगने वाले मेले के दौरान लोग यहां अपनी फसल का कुछ हिस्सा चढ़ाने आते हैं। मान्यता है कि इससे उनकी फसल में बरकत बनी रहती है।

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मुराद पूरी होने पर चढ़ाते बच्चों के बाल

कई लोग मां ज्योली को अपली कुल देवी के रूप में पूजते हैं। भक्त कहते हैं कि सच्चे दिल से मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाए, मां ज्योली उसे जरूर पूरा करती हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु यहां बच्चों के केश यानी बाल चढ़ाते हैं। इस मंदिर का इतिहास पांडव काल से जुड़ा हुआ है।

अज्ञातवास में पांडवों ने बनाया था मंदिर

माना जाता है कि त्रेतायुग में पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां ज्योली नाम की जगह पर एक रात रुके थे। पांडवों ने ही रात के समय में अपनी कुलदेवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर का निर्माण किया। लोगों ने जब सुबह उठकर देखा तो ज्योली जगह पर मंदिर बना हुआ था और अंदर मूर्ति स्थापित थी।

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मंदिर में आज भी मौजूद पांडवों का बेलन

आज भी ये मूर्ति मंदिर में स्थापित है। तब से लेकर आज तक लोग इस मूर्ति की पूजा करते हैं जिससे इस जगह का नाम ज्योली देवी के नाम से विख्यात है। मंदिर में पांडवों ने एक बेलन का निर्माण भी किया था जो आज भी मंदिर के इतिहास को दर्शाता है।

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