#धर्म
January 15, 2025
हिमाचल का ऐसा मंदिर : जहां ब्राह्मण नहीं क्षत्रिय करते हैं पूजा-अराधना
मंदिर की झील के रहस्य से विज्ञान भी अनजान
शेयर करें:
मंडी। देवभूमि हिमाचल में अनगिनत मंदिर स्थित हैं, जो अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में ना केवल स्थानीय भक्त आते हैं, बल्कि देश-विदेश से भी श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं। हिमाचल के ये मंदिर ना केवल श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक हैं, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।
हिमाचल में कई मंदिर ऐसे हैं- जिनसे जुड़ा रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। आज के अपने इस लेख हम आपको हिमाचल के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे- जिसमें ब्राह्मण नहीं क्षत्रिय पूजा करते हैं। मंडी रियासत के कुल देव का मंदिर गिद्धों की गलती से डूबने लगा था। मंदिर के झील के रहस्य से विज्ञान आज भी अनजान है।
हम बात कर रहे हैं देव पराशर ऋषि के मंदिर के बारे में। समुद्र तल से करीब 9100 फीट की ऊंचाई पर स्थित देव पराशर ऋषि के मंदिर का नजारा बेहद मनमोहक है। मगर मंदिर के सामने मौजूद पराशर झील इतनी रहस्यमयी है। आज तक विज्ञान इस से कुछ जुड़े कुछ तत्थ्यों का खुलासा नहीं कर पाया है।
विज्ञान ये तो जान सका की झील का पानी बहता रहता है, लेकिन यह नहीं जान सका की बहने के लिए पानी कहां से आता है। वहीं, मंदिर और झील से जुड़े एक चमत्कार की कहानी के अनुसार एक बार गिद्धों ने झील में मरे हुए मवेशी का सर फेंक दिया था। जिससे झील अपवित्र हो गई। इसके बाद झील का पानी भरने लगा और मंदिर इसमें समाहित होने लगा। मंदिर की ऊंचाई बहुत अधिक है-ऐसे में पहले कारदार यानी की पुजारी वहां नियमित नहीं रहा करते थे।
कुछ दिनों के बाद खेतों में काम कर रहे देवता के गुर को एक आवाज सुनाई दी कि देव पराशर का मंदिर डूब रहा है। आवाज सुनकर गुर सहित गांव वाले मौके पर पहुंचे और एकाएक देव शक्ति गुर में प्रवेश हो गई। गुर ने झील में छलांग लगाई और कुछ दिनों बाद मवेशी का सिर लेकर बाहर निकले- तब से आज तक कारदार नियमित रूप से मंदिर में पूजा करते हैं। खास बात यह है की यह कारदार ब्राहमण ना होकर क्षत्रिय हैं।