#राजनीति
August 3, 2025
'हिमाचल के लिए लॉटरी अभिशाप' : धूमल-वीरभद्र दोनों ने लगाया था बैन, पूर्व CM ने बताई वजह
धूमल बोले- कर्मचारी, पेंशनर, मजदूर सभी हुए थे शिकार
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में लॉटरी सिस्टम को फिर से लागू करवाने के बाद से सरकार लगातार सवालों के घेरे में घिरती जा रही है। विपक्ष लगातार सुक्खू सरकार से सवाल कर रहा है। वहीं, अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने लॉटरी पुनः प्रारंभ करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
प्रो. प्रेम कुमार धूमल कहा कि यह कदम हिमाचल प्रदेश को बर्बादी की ओर ले जाएगा। धूमल ने याद दिलाया कि 17 अप्रैल, 1996 को हाईकोर्ट के आदेश के बाद सिंगल डिजिट लॉटरी पर प्रतिबंध लगा था, और जब वे 1998 में मुख्यमंत्री बने, तो 1999 में इस पूरे सिस्टम को बंद कर दिया गया था।
धूमल ने बताया कि 90 के दशक के अंत में लॉटरी की लत ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों, पेंशनरों, मजदूरों और युवाओं की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया था। वेतन और पेंशन का पैसा लॉटरी में डूब गया था, जिससे कई घर तबाह हो गए थे। इसी वजह से हमने जनहित में इसे पूरी तरह बंद किया।
धूमल ने कहा कि 2004 में कांग्रेस सरकार ने इस व्यवस्था को फिर से शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद ही वीरभद्र सिंह ने स्वयं इसे पूर्ण रूप से बंद कर दिया। उन्हें भी ये अहसास हो गया था कि यह एक अभिशाप है। उन्होंने मौजूदा सरकार के निर्णय की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इस फैसले से प्रदेश के नौ से दस लाख बेरोजगार युवाओं और दो लाख से अधिक कर्मचारियों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
धूमल ने यह भी कहा कि लॉटरी व्यवस्था से सरकार को आय तो मात्र कुछ करोड़ की होती थी, लेकिन सामाजिक नुकसान इसकी तुलना में कहीं अधिक था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में इस निर्णय को लागू न करने की मांग सरकार के सामने रखी है।