#राजनीति
May 22, 2025
मंत्री अनिरुद्ध सिंह की फेसबुक पोस्ट ने मचाया बवाल- क्या निकाले जा रहे मायने, यहां जानें
क्या राजा गुट अनिरुद्ध को पीछे खींचने की कोशिश कर रहा है.?
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शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस संगठन में संभावित फेरबदल के बीच सुक्खू सरकार में पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह की सोशल मीडिया पोस्ट ने प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में एक नई गर्मी घोल दी है। एक तरफ पार्टी नेतृत्व में बदलाव की सुगबुगाहट तेज़ है, वहीं दूसरी ओर मंत्री की एक तीखी टिप्पणी ने कांग्रेस के भीतर गहराते मतभेदों की ओर साफ इशारा कर दिया है।
मंत्री अनिरुद्ध सिंह की पोस्ट उस समय आई है जब हिमाचल कांग्रेस में अध्यक्ष पद की लड़ाई चल रही है। ऐसे में इस पोस्ट को अध्यक्ष पद से जोड़ा जा रहा है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राजा गुट अनिरुद्ध को पीछे खींचने की कोशिश कर रहा है, जबकि सुक्खू गुट में अनिरुद्ध सिंह इस पोजिशन के लिए पहली पसंद बने हुए है।
बीते कल अनिरुद्ध सिंह ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने लिखा- "बुद्धिमान व्यक्ति कभी चालबाज नहीं होता। नकली सिक्के वही इकट्ठा करता है, जिसके पास असली सिक्कों की कमी होती है।"
कुछ ही समय में यह पोस्ट प्रदेश भर में वायरल हो गई और एक घंटे के भीतर ही इसे 1400 से ज्यादा लाइक्स और 200 से अधिक
प्रतिक्रियाएं मिल चुकी थीं।
प्रदेश कांग्रेस इन दिनों नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अंदरूनी मंथन के दौर से गुजर रही है। खासकर प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के कार्यकाल को लेकर संगठन में दो धड़े बन चुके हैं। एक पक्ष बदलाव की मांग कर रहा है, जबकि दूसरा प्रतिभा सिंह के समर्थन में है। ऐसे माहौल में अनिरुद्ध सिंह की यह पोस्ट ऐसे समय आई है जब तमाम नेता और कार्यकर्ता असमंजस में हैं कि कौन किस पाले में है।
मंत्री ने भले ही किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया हो लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका निशाना उन नेताओं की ओर है जो संगठन और सत्ता में चालबाज़ी से जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह पोस्ट कांग्रेस के भीतर चल रही रणनीतिक चालों और गुटबाज़ी के बीच एक साफगोई का हमला मानी जा रही है।
अनिरुद्ध सिंह के समर्थकों ने इस बयान को “सत्यवादी और निर्भीक नेतृत्व की पहचान” बताया है। कई फेसबुक यूज़र्स ने उन्हें “ईमानदार नेता”, “साफ़ छवि वाले राजनेता” और “बिना लागलपेट के सच बोलने वाला जनसेवक” कहा है।
वहीं, पार्टी के अंदर ही कुछ धड़े इस पोस्ट को संगठनात्मक असंतोष की अभिव्यक्ति मान रहे हैं। इनका मानना है कि अगर मंत्री को कोई शिकायत है तो उसे हाईकमान के समक्ष रखा जाना चाहिए, न कि सोशल मीडिया पर सार्वजनिक मंच पर लाना चाहिए।
फिलहाल, यह पोस्ट न सिर्फ कांग्रेस के भीतर मंथन को उजागर करती है, बल्कि हिमाचल की राजनीति में उठते पाले बदल के संकेत भी देती है। अब देखना यह है कि क्या अनिरुद्ध सिंह की यह ‘संकेतात्मक चुप्पी’ किसी बड़े बदलाव की आहट है या फिर केवल एक व्यक्तिगत विचार, जिसका समय और सियासी माहौल ने इसे भारी बना दिया।